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Narak Chaturdashi 2025: छोटी दिवाली पर अभ्यंग स्नान का है विशेष महत्व, जानें क्या है इसकी विधि?

Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी का पर्व दिवाली के त्योहार से एक दिन पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल ये त्योहार 19 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। इस दिन सुबह अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। आइए जानें क्या है इसकी विधि?

अपडेटेड Oct 17, 2025 पर 11:35 PM
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महत्व और विधि अभ्यंग स्नान से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली या रूप चौदस भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और उसकी कैद से हजारों की संख्या में गोपियों की रक्षा की थी। इसी कारण यह दिन अंधकार और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया और इसे दिवाली से पहले दिवाली की तरह मनाया जाता है। इसी वजह से इस पर्व को छोटी दिवाली भी कहते हैं। यह दिवाली के पांच दिनों के पर्व में दूसरे दिन यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल ये पर्व रविवार 19 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। इस दिन की खास पूजा और अनुष्ठान में अभ्यंग स्नान और यम दीपदान के साथ ही श्रीकृष्ण, यमराज और देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। आइए जानते हैं अभ्यंग स्नान का महत्व और विधि

नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान का महत्व

नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान का बहुत महत्व है। माना जाता है कि सर्दी के मौसम की शुरुआत से पहले किया जाने वाला ये स्नान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसका महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, वैज्ञानिक भी है। इसमें सबसे पहले पूरे शरीर पर तिल या सरसों का तेल लगाया जाता है। यह त्वचा से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। सर्दी के मौसम की शुरुआत में यह स्नान शरीर को गर्म रखता है। गंगाजल के प्रयोग से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है, जिससे दिनभर का कार्य शुभ फलदायी होता है।

अभ्यंग स्नान विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पहले उठें।
  • शरीर पर तिल या सरसों के तेल का लेप करें।
  • इससे शरीर की शुद्धि होती है और यह उम्र बढ़ाने के साथ ही रोगों से रक्षा करता है।
  • शरीर पर चंदन, हल्दी, बेसन, या गुलाबजल से बना उबटन लगाएं।
  • इसके बाद गंगाजल या गंगाजल मिले पाने से स्नान करें।
  • स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य दें और उनके समक्ष दिनभर के लिए ऊर्जा और शांति की प्रार्थना करें।
  • स्नान के बाद घर की साफ-सफाई करें और दीपावली की सजावट शुरू करें।


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