Pitra Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से शुरू होने वाले श्राद्ध आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ विसर्जन के साथ संपन्न होते हैं। इस 15-16 दिनों की अवधि में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के प्रार्थना और पिंडदान करते हैं। पूरे पितृ पक्ष में पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक हर दिन श्राद्ध किया जाता है। कुछ लोग अपने परिजनों के देहत्याग की तिथि के अनुसार भी श्राद्ध करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस अवधि में कुछ विशेष तिथियां ऐसी होती हैं जिन पर श्राद्ध कर्म करना बेहद जरूरी होता है। इन तिथियों पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए आवश्यक अनुष्ठान नहीं करने से पितृ नाराज हो जाते हैं और जीवन कष्टकारी हो सकता है। आइए जानें इन विशेष तिथियों के बारे में और साथ ही जानते हैं पितृ पक्ष की शुरुआत 7 या 8 सितंबर किस दिन से हो रही है?
इस दिन से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध
इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 7 सितंबर को रात 01.41 बजे शुरू हो रही है और इसका समापन 7 सितंबर को रात 11.38 बजे होगा। इसलिए पितृ पक्ष की शुरुआत 07 सितंबर 2025 से ही होगी और पूर्णिमा का श्राद्ध भी इसी दिन किया जाएगा। पितृ पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर 2025 को होगा।
इन 3 तिथियों पर जरूर करें श्राद्ध
पितृ पक्ष में भरणी श्राद्ध, नवमी श्राद्ध और सर्व पितृ अमावस्या की तिथियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
नवमी श्राद्ध : इसे मातृ नवमी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। नवमी तिथि पर परिवार की महिला पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। इसमें मां, दादी, नानी आदि के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है।
सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध : इस तिथि पर पितृ पक्ष का समापन होता है और ये इस अवधि की सबसे खास तिथि है। सर्व पितृ अमावस्या पर उन पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि का पता नहीं है।