Pitra Paksha 2025: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध का बहुत महत्व है। ये 15-16 दिनों की अवधि हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक रहती है। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। इस साल पितृ पक्ष का समय रविवार 7 सितंबर से शुरू हो चुका है और इसका समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ होगा। पिंडदान के लिए देश के कुछ धार्मिक स्थलों का विशेष महत्व बताया गया है। इसके बिहार राज्य के गया तीथस्थल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर माता सीता ने अयोध्या के राजा दशरथ का पिंडदान किया था। एक कथा यह भी प्रचलित है कि यहीं पर माता सीता ने फल्गु नदी को श्राप दिया था।