Pitra Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के महत्व से हम सभी वाकिफ हैं। इसके 15-16 दिनों की अवधि में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि करते हैं। इस अवधि में गया जी, काशी या हरिद्वार जैसे पवित्र धार्मिक स्थलों में पिंडदान का बहुत महत्व माना जाता है। हालांकि घर पर श्राद्ध कर्म और दान ब्राह्मण की मदद से किए जा सकते हैं। सही विधि-विधान का पालन करने से ही पितरों को तृप्ति और शांति मिलती है।
लेकिन आज के दौर में जब सब चीजें ऑनलाइन होने लगी हैं और लोग घर बैठे बस कुछ क्लिक से कुछ भी ऑर्डर कर लेते हैं या दूर बैठे अपने परिजनों बात कर लेते हैं। कुछ तो समय की कमी हो गई है और कुछ तकनीक की तरक्की इसके लिए जिम्मदार है। अब लोग पितरों का पिंडदान भी ऑनलाइन करने लगे हैं। अगर आप भी ऐसा ही कुछ करना चाहते हैं, तो पहले ये जानना जरूरी है कि ऑनलाइन पिंडदान मान्य है भी या नहीं?
धार्मिक स्थलों पर किया गया पिंडदान ही मान्य
इस विषय पर ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे ने न्यूज 18 को बताया कि पितरों के लिए किया जाने वाला पिंडदान काशी या गया जी जैसे किसी पवित्र स्थल पर जाकर ही सही ढंग से किया जा सकता है। ऑनलाइन पिंडदान की धारणा पूरी तरह से गलत है। घर पर या ऑनलाइन माध्यम से पिंडदान मान्य नहीं है। श्राद्ध से जुड़े कुछ अन्य पूजन कार्य घर पर किए जा सकते हैं। ऑनलाइन श्राद्ध सिर्फ ब्राह्मणों से जुड़ने का जरिया है। पिंडदान जैसे प्रमुख अनुष्ठान किसी धार्मिक स्थल पर करने से ही पितरों तक वो पहुंचता है और उन्हें शांति मिलती है।
ब्राह्मण की मदद से डिजिटली जुड़कर कर सकते हैं श्राद्ध
जो लोग अपने देश या गांव से बहुत दूर रहते हैं, मगर अपने गांव या क्षेत्र की परंपरा के अनुसार श्राद्ध करना चाहते हैं, तो आप किसी ब्राह्मण से डिजिटल माध्यम से जुड़कर ये विधि पूरी कर सकते हैं। लेकिन कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। श्राद्ध के दिन सुबह स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और श्राद्ध का संकल्प लें। श्राद्ध की प्रक्रिया पूरी होने तक भोजन ग्रहण न करें। पूजा के लिए एक तांबे के लोटे में जौ, तिल, चावल, गंगाजल, सफेद फूल, कच्चा दूध और पानी रखें। श्राद्ध करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठें और हाथ में कुश लेकर जल अर्पित करें।
श्राद्ध के दौरान हाथ में कुशा लें और फिर हाथ में जल लेकर सीधे हाथ के अंगूठे से 11 बार बर्तन में गिराएं। इसके बाद पितरों को खीर अर्पित करें। पंचकर्म के तहत देवता, गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी के लिए भी भोजन रखना जरूरी है। यही प्रक्रिया श्राद्ध को पूर्ण बनाती है।