Sakat Chauth 2026: नाए साल में इस दिन आइएगी साल की सबसे बड़ी चौथ, जानें तारीख, पूजा विधि, मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

Sakat Chauth 2026: सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत की जाती है। यह व्रत माघ के महीने में किया जाता है और हर साल जनवरी में होता है। इस व्रत में तिल और गुड़ से बनी चीजों का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है। आइए जानें नए साल में सकट चौथ किस दिन होगी

अपडेटेड Dec 04, 2025 पर 7:35 PM
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Sakat Chauth 2026: सकट चौथ का व्रत माताएं अपने बच्चों को मुश्किलों से बचाने और उनकी लंबी उम्र के लिए करती हैं। इसे हिंदू धर्म में अपनी संतान के लिए किए जाने वाले सबसे ताकतवर व्रतों में से एक माना जाता है। 2026 में, यह व्रत साल की शुरुआत में ही पड़ रहा है। इस दिन भगवान गणेश के साथ संकटा माता की पूजा की जाती है। सकट चौथ की पूजा हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को की जाती है। महाराष्ट्र में इस त्योहार को लंबोदर संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस चतुर्थी को साल की चार बड़ी चतुर्थियों में गिना जाता है, इसलिए इसे बड़ी चतुर्थी भी कहा जाता है।

सकट चौथ 2026 तारीख

हिंदू पंचांग के अनुसार, सकट चौथ का व्रत 6 जनवरी 2026 को माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाएगा। इस दिन बहुत से लोग सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत रखते हैं, और चांद को अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत तोड़ते हैं। माताएं ये व्रत अपनी संतान की सुरक्षा, खुशहाली और सफलता के लिए रखती हैं और भगवान गणेश और संकटा माता की पूजा करती हैं।

पूजा मुहूर्त

इस मुहूर्त में गणेश पूजा, भोग और पूजा सामग्री अर्पित करना और अपनी संतान की खुशहाली और चुनौतियों से सुरक्षा के लिए पूजा-पाठ करते हैं।

सकट चौथ शुरू : 6 जनवरी 2026 सुबह 8:01 बजे


सकट चौथ खत्म : 7 जनवरी 2026 सुबह 6:52 बजे

पूजा मुहूर्त : शाम 7:21 बजे से रात 9:03 बजे तक

चंद्रोदय का समय

सकट चौथ का व्रत चांद दिखने और अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है। इस दिन चांद का खास महत्व होता है, और भक्त अर्घ्य देते समय ओम सोमाय नमः का जाप करते हैं।

6 जनवरी 2026 को चंद्रोदय : रात 8:54 बजे

जरूरी है तिलकुट चतुर्थी पर तिल

इस चतुर्थी को तिलकुट चतुर्थी या तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। तिल से बनी मिठाई जैसे तिल-गुड़ के लड्डू चढ़ाने से भगवान गणेश खुश होते हैं। माना जाता है कि तिल खाने से बीमारियां दूर होती हैं और तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं। इस दिन तिल का दान करना आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत शुभ माना जाता है। भक्त तिल-गुड़ के लड्डू बनाते हैं, उन्हें भगवान गणेश को चढ़ाते हैं, और बाद में उन्हें प्रसाद के रूप में बांटते हैं।

पूजा विधि

  • सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
  • निर्जला या फलाहार व्रत का संकल्प लें।
  • शाम को शुभ मुहूर्त में, पंचामृत (दूध, पानी, दही, घी और शहद का मिक्सचर) चढ़ाएं।
  • भगवान गणेश को चंदन, फूल, दूर्वा घास, बिल्व पत्र, धतूरा और आकड़े के फूल चढ़ाएं।
  • तिल-गुड़ के लड्डू और दूसरी पारंपरिक मिठाइयां प्रसाद के तौर पर तैयार करें।
  • सकट चौथ व्रत कथा श्रद्धा से पढ़ें।
  • चंद्रोदय होने पर चांद को अर्घ्य दें।
  • ॐ सोमाय नमः का जाप करें।
  • चांद की पूजा के बाद ही अपना व्रत खोलें।

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