सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आराधना का विशेष समय माना जाता है। इस पूरे माह में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न पूजा-पाठ और उपाय किए जाते हैं। इन्हीं में एक अत्यंत पवित्र और फलदायी परंपरा है शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाना। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन शिव को प्रिय है और जब इसे श्रद्धा से शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है, तो उसका प्रभाव साधक के जीवन पर गहराई से पड़ता है। ये प्रक्रिया न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को संतुलन देने वाली एक दिव्य साधना भी है।
इससे व्यक्ति को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। खासतौर पर सावन के सोमवार को किया गया ये छोटा सा उपाय अनेक कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है।
पूजा की शुरुआत शिवलिंग के शीर्ष पर चंदन लगाने से करें। मान्यता है कि इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह तेज़ होता है। मानसिक तनाव में राहत मिलती है और वैवाहिक जीवन में प्रेम और समझदारी बढ़ती है। ये तिलक आत्मबल और आंतरिक शांति देने वाला होता है।
शिवलिंग के दाहिने हिस्से में, जलाधारी के आगे की ओर दूसरा चंदन तिलक लगाएं। ये स्थान गणेश जी का माना गया है। यहां तिलक लगाने से जीवन में शुभता और समृद्धि आती है। ये आर्थिक स्थिति सुधारने और नकारात्मक विचारों को दूर करने में सहायक होता है।
गणेश जी की दिशा के ठीक विपरीत दिशा को भगवान कार्तिकेय का स्थान माना गया है। यहां लगाया गया चंदन का तीसरा तिलक संतान प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है। जिन दंपतियों को संतान सुख की प्रतीक्षा है, उनके लिए यह विशेष फलदायी होता है।
शिवलिंग से जल जहां बहता है, उस स्थान को अशोक सुंदरी का वास माना गया है। वहां चंदन लगाने से योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। ये उपाय विशेष रूप से उन युवाओं के लिए है जिनकी शादी में देरी हो रही हो या उन्हें उपयुक्त रिश्ता नहीं मिल रहा हो।
शिवलिंग की जलाधारी पर, जहां से जल बहता है, वहां चंदन लगाने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसे सभी बाधाओं और रोग-दोषों से राहत पाने वाला स्थान माना गया है। यह तिलक दुखों को शांत करता है।
शिवलिंग के पीछे की ओर छठा तिलक लगाने से शत्रुओं पर विजय मिलती है। यह उपाय जीवन से नकारात्मकता, ईर्ष्या और शत्रु बाधा को हटाने के लिए कारगर है। साथ ही, घर-परिवार में सुख-शांति का आगमन होता है।
सातवां और अंतिम चंदन तिलक शिव के वाहन नंदी महाराज के दोनों सींगों पर लगाया जाता है। यह तिलक श्रद्धा का प्रतीक होता है और भगवान शिव तक आपकी प्रार्थना को पहुंचाने में सहायक माना जाता है। इससे मनोकामना पूर्ण होती है।
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