Shadi Vivah Muhurt 2025: हिंदू धर्म में शादी-मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त देखकर ही किए जाते हैं। लेकिन साल के कुछ खास समय ऐसे होते हैं, जिनमें मांगलिक कार्य नहीं होते। इसमें शादी की शहनाइयां नहीं गूंजती और लोग इंतजार करते हैं, उस अवधि के बीतने का। जैसे अभी देवउठनी एकादशी के बाद से शुरू हुए शादी-विवाह के मांगलिक कार्यों पर खरमास में फिर से ब्रेक लग जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु चार मास की योगनिद्रा में जाते हैं, तो उस दौरान मांगलिक कार्य बंद रहते हैं। चतुर्मास बीतने के बाद ही विवाह आदि कार्यक्रमों की फिर से शुरुआत होती है और इनके लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त बनते हैं। मगर, साल में कुछ और खास समय भी होते हैं जिन पर शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य करना उचित नहीं माना जाता है। हिंदू धर्म में लोग इन तिथियों पर विवाह करने से बचते हैं।
चतुर्मास : देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथ में आ जाता है। भगवान विष्णु जब देवउठनी एकादशी पर जागते हैं तो शादी-विवाह जैसे कार्य पुन: सक्रिय हो जाते हैं। इन दोनों एकादशियों के बीच की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस अवधि में मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
खरमास : ज्योतिष में सूर्य ऊर्जा, सफलता, स्वास्थ्य आदि का कारक माना जाता है। लेकिन सूर्य जब गुरु की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं तो खरमास लगता है, क्योंकि इन राशियों में उनकी स्थिति को कमजोर समझा जाता है। इसलिए खरमास में मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते हैं। सूर्य की शक्ति जब क्षीण होती है तो पति-पत्नी के लिए शुभ स्थिति नहीं होती है।
विवाह पंचमी : मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम और माता सीता का विवाह इसी तिथि पर हुआ था। ज्योतिषविद इस तिथि पर भी लोगों को विवाह न करने की सलाह देते हैं। दरअसल, राम-सीता के विवाह के बाद उनका दांपत्य जीवन कभी सहज नहीं रहा। यही कारण है कि इस तिथि को विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
अस्त शुक्र : ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को प्रेम, विवाह, सौंदर्य और दांपत्य सुख का कारक माना गया है। ज्योतिषविदों की मानें तो शुक्र की अस्त स्थिति विवाह के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार अस्त शुक्र में विवाह दांपत्य जीवन की खुशियों को ग्रहण लगा सकता है। ऐसे विवाह फलित नहीं होते हैं।