शनिवार, 23 अगस्त को भाद्रपद अमावस्या का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। ये दिन भगवान शिव और पितरों की विशेष आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। परंपरा के अनुसार, श्रद्धालु प्रातःकाल गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। इसके बाद भक्तजन भक्ति भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हैं तथा पितरों का तर्पण और पिंडदान कर उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा से साधक के जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि आती है। साथ ही पितृ तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
क्यों खास है भाद्रपद अमावस्या?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनि अमावस्या पर स्नान के बाद गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को शिव और शक्ति दोनों की कृपा मिलती है। इससे जीवन में सुख, सौभाग्य और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। भक्त इस दिन शिव और शनिदेव की विशेष पूजा करते हैं।
राशि के अनुसार करें मंत्र जप
इस दिन शिव और शनिदेव की पूजा करते समय अपनी राशि के अनुसार मंत्र जपने से और भी शुभ परिणाम मिलते हैं:
मेष: ‘ॐ महाकाल नमः’ और ‘ऊँ महेशाय नमः’
वृषभ: ‘ॐ उमापति नमः’ और ‘ऊँ नित्याय नमः’
मिथुन: ‘ॐ भोलेनाथ नमः’ और ‘ऊँ वीराय नमः’
कर्क: ‘ॐ चंद्रधारी नमः’ और ‘ऊँ कूर्माङ्गाय नमः’
सिंह: ‘ॐ ज्योतिलिंग नमः’ और ‘ऊँ गोचराय नमः’
कन्या: ‘ॐ त्रिनेत्रधारी नमः’ और ‘ऊँ वरिष्ठाय नमः’
तुला: ‘ॐ केदारनाथ नमः’ और ‘ऊँ श्रेष्ठाय नमः’
वृश्चिक: ‘ॐ सोमनाथ नमः’ और ‘ऊँ भव्याय नमः’
धनु: ‘ॐ महेश नमः’ और ‘ऊँ क्रूराय नमः’
मकर: ‘ॐ नागधारी नमः’ और ‘ऊँ सर्वेशाय नमः’
कुंभ: ‘ॐ नीलेश्वर नमः’ और ‘ऊँ वशिने नमः’
मीन: ‘ॐ गोरीशंकर नमः’ और ‘ऊँ क्रूराय नमः’
सुबह स्नान के बाद शिवलिंग पर गंगाजल, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें। दीप जलाएं और भक्ति भाव से मंत्र जप करें। शाम को पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करना न भूलें।
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