Tulsi Vivah Vidhi 2025 Muhurat: रविवार को नहीं करना चाहते हैं तुलसी विवाह, तो आज शाम प्रदोष काल में संपन्न करें विधि

Tulsi Vivah Vidhi 2025 Muhurat: आज देवउठानी एकादशी है, इसके बाद अगले दिन तुलसी माता का विवाह भगवान विष्णु के साथ किया जाता है। लेकिन इस साल ये संयोग रविवार के दिन बन रहा है और इस दिन तुलसी को छूना वर्जित होता है। ऐसे में ये विधि करने का क्या तरीका होगा, आइए जानें

अपडेटेड Nov 01, 2025 पर 2:24 PM
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माना जाता है कि रविवार के दिन तुलसी जी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

Tulsi Vivah Vidhi 2025 Muhurat: आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवउठनी एकादशी है। आज भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागेंगे और फिर से सृष्टि के संचालन का कामकाज संभाल लेंगे। यह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। इसके बाद अगले दिन इनकी शादी तुलसी माता से सम्पन्न कराई जाती है और इसके बाद से ही हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। हालांकि, बहुत से लोग ये अनुष्ठान आज के दिन भी करते हैं।

इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत शनिवार के दिन है, तो तुलसी विवाह की शास्त्र सम्मत तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है। लेकिन, इस साल ये तिथि रविवार के दिन पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार के दिन तुलसी को जल नहीं देते या उसे छूते नहीं हैं। ऐसे में तुलसी विवाह की विधि करने के बार में काशि के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट की बताई विधि आप भी अपना सकते हैं। आइए जानें क्या है ये

रविवार को तुलसी को नहीं छूते

माना जाता है कि रविवार के दिन तुलसी जी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। रविवार को तुलसी में जल देने या छूने से उनका व्रत खंडित होता है। इसलिए रविवार को तुलसी में जल अर्पित करना और उनको छूना दोनों ही मना है।

एकादशी पर तुलसी विवाह मुहूर्त

बहुत से लोग आज देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह करते हैं। आज शाम को प्रदोष काल में यानि सूर्यास्त के बाद शाम 05:36 बजे से तुलसी विवाह रवि योग में कर सकते हैं। लेकिन, आज ये विधि शाम 08:27 बजे से पहले संपन्न करनी होगी, क्योंकि इसके बाद से भद्रा लग जाएगी और भद्रा काल में कोई शुभ काम नहीं करते हैं।


द्वादशी पर तुलसी विवाह मुहूर्त

यदि आप हर साल कार्तिक शुक्ल द्वादशी पर तुलसी विवाह करते हैं तो आप 2 नवंबर को सूर्यास्त के बाद शाम 05:35 बजे के बाद तुलसी विवाह कर सकते हैं। उस समय सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।

तुलसी विवाह की विधि

  • तुलसी विवाह के लिए 4 गन्ने से विवाह का मंडप तैयार करें और उसे फूल-माला से सजाएं।
  • लकड़ी की चौकी पर पीला और लाल कपड़ा बिछाएं। पीले कपड़े पर भगवान शालिग्राम और लाल कपड़े पर तुलसी का पौधा रखें।
  • रविवार को तुलसी विवाह करना है तो तुलसी के पौधे को स्पर्श न करें। तुलसी के पौधे के पास ही विवाह की व्यवस्था करें।
  • चौकी के पास एक कलश स्थापना करें। उसमें सात प्रकार के अनाज, आम के पत्ते, सिक्का आदि डालकर पानी से भर दें।
  • इसके बाद माता तुलसी की पूजा सिंदूर, अक्षत्, हल्दी, फूल, माला, फल, धूप, दीप आदि से करें।
  • ॐ तुलस्यै नमः मंत्र का उच्चारण करते रहें
  • तुलसी जी को लाल चुनरी, एक लाल साड़ी, श्रृंगार सामग्री और सुहाग का सामान अर्पित करें। गाय के घी का एक दीप जलाएं।
  • इसके बाद भगवान शालिग्राम की पूजा अक्षत्, चंदन, हल्दी, फूल, फल, वस्त्र, मिठाई आदि अर्पित करके करें।
  • उनके लिए भी एक दीप जलाएं। ॐ शालिग्रामाय नमः मंत्र का उच्चारण करें।
  • शालिग्राम जी को हाथ में लेकर तुलसी जी की 7 बार परिक्रमा कराएं।
  • तुलसी चालीसा और तुलसी विवाह की कथा पढ़ें। फिर दोनों की आरती करें।
  • तुलसी विवाह के अंत में प्रसाद वितरण करें।

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