वर लक्ष्मी व्रत मां लक्ष्मी को समर्पित व्रत है जिसकी हिंदु धर्म में बहुत मान्यता है। ये व्रत शादीशुदा हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं। यह उपवास हर साल सावन मास के अंतिम शुक्रवार को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस साल ये व्रत आज किया जा रहा है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर मां लक्ष्मी का व्रत रखने से सुख और शांति बढ़ती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, इस तिथि पर महालक्ष्मी स्तोत्र और अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ भी बहुत शुभ फल देने वाला होता है।
ये व्रत मुख्य रूप ये दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में विवाहित महिलाएं बड़ी आस्था के साथ मनाती हैं। हालांकि कुछ हिस्सों में ये व्रत पुरुष भी करते हैं। महिलाएं इस दिन मां लक्ष्मी से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करती हैं।
मान्यता है कि मां वरलक्ष्मी महालक्ष्मी का एक रूप हैं, जो भगवान विष्णु की पत्नी हैं। इनकी उत्पत्ति क्षीर सागर से हुई थी और ये दूधिया रंग के वस्त्र धारण करती हैं। मां वरलक्ष्मी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
वरलक्ष्मी व्रत शुभ मुहूर्त
पूजा मुहूर्त वृश्चिक लग्न - दोपहर 01:22 बजे से दोपहर 03:41 बजे तक
पूजा मुहूर्त कुंभ लग्न - शाम 07:27 बजे से रात 08:54 बजे तक
पूजा मुहूर्त वृषभ लग्न - रात 11:55 बजे से मध्य रात्रि 01:50 बजे तक
वरलक्ष्मी व्रत संतान, जीवनसाथी और सांसारिक सुखों की कामना के लिए किया जाता है। यह व्रत दीपावली की महालक्ष्मी पूजा से मिलता-जुलता है। इसमें पवित्र धागा, जिसे दोरक कहते हैं, बांधा जाता है और मिठाई का भोग लगाते हैं। इसमें सुबह और शाम को दिन में दो बार मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। मां लक्ष्मी की पूजा करते समय ये मंत्र का उच्चारण श्रेष्ठ होता है :
क्षीरसागर-संभूतां क्षीरवर्ण-समप्रभाम्, क्षीरवर्णसमं वस्त्रं दधानां हरिवल्लभाम्
सबसे पहले मां वरलक्ष्मी की मूर्ति को एक साफ स्थान पर चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर स्थापित करें। इसके बाद इन्हें पंचामृत से स्नान कराएं और जल अर्पित करें। स्नान के बाद मां वरलक्ष्मी को वस्त्र, इत्र, सिंदूर, फूल-माला और नैवेद्य चढ़ाएं। दीपक और धूप दिखा कर व्रत की कथा कहें या सुनें और आरती करें।