शारदीय नवरात्रि हर साल मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पवित्र पर्व होता है। इस नवरात्रि में खासकर अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं के साथ एक छोटे बालक की पूजा की जाती है, जिन्हें देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधि माना जाता है। इस पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
कन्या पूजन का आध्यात्मिक अर्थ
कन्याओं की पूजा केवल सांस्कृतिक परंपरा नहीं बल्कि हमारे अंदर छुपी सहजता, भोलेपन और दिव्यता को जीवन में उतारने का संदेश देती है। यह हमें सिखाती है कि हर व्यक्ति और हर जीव के अंदर विशेष गुण और सकारात्मक शक्तियां होती हैं, जिनसे हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
हमारे अंदर नकारात्मकता, गलत आदतें और कमजोरियां भी होती हैं, जिन्हें हमें पहचानना और दूर करना होता है। नवरात्रि का पर्व हमें इन नकारात्मक शक्तियों से लड़ने और अपनी अंदरूनी दैवी शक्तियों को जगाने का अवसर प्रदान करता है। जैसे ही हम अपनी दैवी शक्तियों को पहचानते हैं, जीवन में विकास और सकारात्मक बदलाव आता है।
अष्ट शक्तियों से युक्त आत्मा
दुर्गा देवी को अष्टभुजाधारी कहा जाता है, जो हमारे भीतर छुपी अष्ट शक्तियों का प्रतीक हैं। ये शक्तियां सहनशीलता, सही निर्णय लेना, सहयोगी भाव, और परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता जैसे गुणों को प्रतिबिंबित करती हैं। जब हम इन शक्तियों को जीवन में अपनाते हैं, तो हमारी आत्मा सशक्त और दिव्य बनती है।
नवरात्रि के ये नौ दिन अज्ञानता से जागरूकता की ओर बढ़ने का समय हैं। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सच्ची शक्ति और ज्ञान हमारे अंदर ही हैं, जिन्हें हमें जागृत करना होता है। यह समय अपनी कमजोरियों को पछाड़ कर शांति, सहनशीलता और सकारात्मक सोच की तरफ कदम बढ़ाने का होता है।