'हर साल $1 ट्रिलियन का डिजिटल फ्रॉड', एयरटेल के MD का डिजिटल सेफ्टी और भरोसा बढ़ाने पर जोर
डिजिटल युग में साइबर फ्रॉड की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। एयरटेल MD गोपाल विट्टल का कहना है कि डिजिटल युग में यूजर्स का भरोसा बढ़ाना जरूरी है। केंद्रीय मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने बताया कि सरकार यूजर्स की सेफ्टी के लिए पॉलिसी बना रही है। जानिए डिटेल।
एयरटेल ने अपने स्पैम डिटेक्शन प्रोग्राम के तहत अब तक 48 अरब स्पैम मैसेज और 3.5 लाख फर्जी लिंक ब्लॉक किए हैं।
भारती एयरटेल के मैनेजिंग डायरेक्टर और GSMA चेयरमैन गोपाल विट्टल का कहना है कि डिजिटल युग में भरोसा, सुरक्षा और रेगुलेटरी बैलेंस के लिए नए ढांचे की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भारत ने कनेक्टिविटी की चुनौती तो हल कर ली है, लेकिन अगली चुनौती यूजर्स की सुरक्षा और संस्थागत सहयोग को मजबूत करना है।
विट्टल ने इंडियन मोबाइल कांग्रेस 2025 में कहा, 'आज कनेक्टिविटी एक बुनियादी अधिकार जैसी हो गई है। अगर यह छिन जाए तो असर विनाशकारी होगा। इससे बैंकिंग, एविएशन और पेमेंट सिस्टम सभी प्रभावित होंगे। लेकिन कनेक्टिविटी से आगे असली चुनौती भरोसा, सुरक्षा और समावेश की है।'
डिजिटल धोखाधड़ी और भरोसे की चुनौती
विट्टल ने बताया कि वित्तीय धोखाधड़ी और साइबर अपराध लोगों के भरोसे को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे एक रिटायर्ड शख्स ने ऑनलाइन फ्रॉड में अपनी सारी जमा-पूंजी गंवा दी। विट्टल ने कहा, 'दुनियाभर में हर साल एक ट्रिलियन डॉलर डिजिटल फ्रॉड में लुट जाते हैं। भरोसा सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।'
एयरटेल ने अपने स्पैम डिटेक्शन प्रोग्राम के तहत अब तक 48 अरब स्पैम मैसेज और 3.5 लाख फर्जी लिंक ब्लॉक किए हैं। विट्टल ने कहा कि 'कोई कंपनी यह अकेले नहीं कर सकती। इसके लिए पूरा इकोसिस्टम चाहिए।' उन्होंने 'फ्रॉड ब्यूरो' जैसी वैश्विक संस्था बनाने का सुझाव दिया, जो मिलकर डिजिटल धोखाधड़ी और खतरों से निपट सके।
टेक्नोलॉजी और रेगुलेशन
विट्टल ने कहा, 'पूरा इकोसिस्टम साथ आना चाहिए। टेक्नोलॉजी रेगुलेशन से तेजी से आगे बढ़ रही है। दुनिया भर में रेगुलेटर्स अभी भी सिर्फ टेलीकॉम पर ध्यान देते हैं, जबकि भरोसे और सुरक्षा के बड़े मुद्दे पूरे डिजिटल इकोसिस्टम में हैं।'
उन्होंने कहा कि रेगुलेशन को डिजिटल जोखिमों के अनुसार विकसित करना होगा। मौजूदा फ्रेमवर्क टेलीकॉम पर तो कड़ा नियंत्रण रखता है, लेकिन डिजिटल इकॉनमी के बड़े हिस्से में 'वाइल्ड वेस्ट' जैसी स्थिति है। मतलब कि डिजिटल इकॉनमी का बहुत बड़ा हिस्सा अनियंत्रित और अनियमित है।
सरकार का फोकस
संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार ऐसी नीतियां बना रही है जो यूजर्स की सुरक्षा करें लेकिन इनोवेशन को रोकें नहीं। खासकर AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और 6G जैसी तकनीकों के तेजी से बढ़ने के समय।
उन्होंने कहा, 'हर भविष्य की तकनीक- सेमीकंडक्टर्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, AI और 6G मिशन मोड में डेवलप की जा रही है। हमारा फोकस जिम्मेदार AI पर है। यह सुनिश्चित करना कि एल्गोरिद्म कैसे काम करते हैं, ताकि इसमें पारदर्शिता बनी रहे, क्योंकि AI में ज्यादातर चीजें 'इनविजिबल' होती हैं।'
अपडेट की जरूरत
चंद्रशेखर ने कहा कि भारत के पास 'उचित रेगुलेटरी ढांचा' है, लेकिन तेजी से बदलती तकनीक इसे और अपडेट करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'हमें इनोवेशन बढ़ाना है और साथ ही रेगुलेशन भी करना है।' सरकार एनोनिमाइज़्ड डेटा सेट्स के इस्तेमाल से AI रिसर्च को जिम्मेदारी के साथ बढ़ावा देने पर काम कर रही है।
उन्होंने बताया, 'तकनीक इतनी तेजी से बदल रही है कि सरकारों के लिए भी इसे पूरी तरह समझना मुश्किल है। एल्गोरिद्म इनविजिबल हैं। आप हमेशा नहीं जान सकते कि उनके पीछे क्या हो रहा है। इसलिए हमें पब्लिक इनपुट, ऑडिट और एडैप्टिव रेगुलेशन की जरूरत है।'
वैश्विक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका में भी एल्गोरिदमिक प्राइसिंग और अपारदर्शी AI सिस्टम चुनौतीपूर्ण हैं। उन्होंने कहा, 'दुनिया में कहीं भी आसान नहीं है, लेकिन हम भरोसा और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित करने वाला रेगुलेटरी माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
डिजिटल विश्वसनीयता लक्ष्य
विट्टल और चंद्रशेखर, दोनों ने सहमति जताई कि भारत की डिजिटल समावेश से डिजिटल विश्वसनीयता की ओर अगली छलांग चुनौतीपूर्ण है। यह तभी मुमकिन होगी, जब इंडस्ट्री, इनोवेटर्स और रेगुलेटर्स साझा जिम्मेदारी के साथ काम करें और टेक्नोलॉजी के केंद्र में भरोसे को रखें।