Meta wristband : Meta ने एक नई टेक्नोलॉजी पेश की है जो आपके डिवाइस को कंट्रोल करने का तरीका पूरी तरह बदल देगी। नेचर जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा ने एक ऐसा रिस्टबैंड (कलाई पर पहनने वाला बैंड) बनाया है जो इंसान की मांसपेशियों से आने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को समझ सकता है और उसी के जरिए स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य डिवाइस कंट्रोल किए जा सकते हैं।
सबसे खास बात यह है कि बैंड पहनने वाले व्यक्ति को अपने डिवाइस को कंट्रोल करने के लिए हिलने की भी जरूरत नहीं होगी। सिर्फ हिलने के बारे सोचने से ही डिवाइस की स्क्रीन पर रिएक्शन का पता चल जाएगा। हालांकि, यह डिवाइस अभी डेवलपमेंट स्टेज में है। लेकिन मेटा का कहना है कि अगले कुछ सालों में इसे मार्केट में उतारा जा सकता है।
रिस्टबैंड में क्या है खास?
मेटा की रियलिटी लैब्स टीम ने इस रिस्टबैंड को इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) टेक्नोलॉजी से डिजाइन किया है। EMG उन इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को पढ़ता है जो दिमाग से मांसपेशियों (खासकर फोरआर्म की मसल्स) तक जाते हैं।
ये सिग्नल इतने तेज होते हैं कि त्वचा के आर-पार भी पढ़े जा सकते हैं और मांसपेशियों की असल मूवमेंट से भी तेज रिस्पॉन्स देते हैं। मेटा के रिसर्च वाइस प्रेसिडेंट थॉमस रीर्डन ने कहा, आपको असल में हिलने की जरूरत नहीं, बस हिलने की सोच ही काफी है।
AI और मशीन लर्निंग की मदद
इस टेक्नोलॉजी में AI का खास रोल है, जो मसल सिग्नल्स के पैटर्न को समझकर उनके बारे में बताता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि नए यूजर्स को डिवाइस इस्तेमाल करने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी। बस इसे कलाई पर पहनना है और ये पहले से मौजूद डेटा के आधार पर तुरंत काम करना शुरू कर देगा।