Gold in Smartphones: आप अक्सर कीमती धातुओं और खनिजों के इतना पास होते हैं, जितना आपको अंदाजा भी नहीं होता। हालांकि, हम AI द्वारा खोजे गए नए “rare-earth-free” (दुर्लभ धातु रहित) मैग्नेट और मटेरियल्स के कगार पर हैं, फिर भी अधिकतर निर्माण प्रक्रियाओं में अभी भी अत्यधिक मांग वाली और दुर्लभ धातुओं का उपयोग होता है। इनमें से कुछ धातुएं इलेक्ट्रॉनिक्स के आंतरिक कामकाज के लिए आवश्यक हैं, जैसे बिजली को अच्छी तरह से प्रवाहित करना (conductivity बढ़ाना) या फिर गर्मी को बाहर निकालकर डिवाइस को ठंडा रखना। कल्पना कीजिए कि आपके द्वारा रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले टैबलेट और स्मार्टफोन के अंदर क्या छिपा है। जी हां, असली सोना! सोना बिजली को बेहतरीन तरीके से प्रवाहित करता है, जल्दी खराब नहीं होता (corrosion से बचता है) और तारों व दूसरे कंपोनेंट्स को मजबूती से जोड़ने में मदद करता है।
बेशक, यह आपके फोन के अंदर मौजूद एकमात्र मूल्यवान धातु नहीं है। अगर आप अपना डिवाइस खोलें, तो आपको तांबा, कोबाल्ट, एल्युमीनियम, लिथियम, चांदी और भी बहुत कुछ मिलेगा। लेकिन आपके स्मार्टफोन में असल में कितना सोना है?
औसतन, स्मार्टफोन में लगभग 0.034 ग्राम सोना होता है। एक फोन में, यह बहुत ज्यादा नहीं लगता है, लेकिन जब आप सोचते हैं कि प्रमुख निर्माताओं द्वारा हर साल कितने लाखों डिवाइस बनाए जाते हैं, तो यह बढ़ जाता है। स्मार्टफोन एकमात्र इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस नहीं हैं जिनमें सोना होता है। आप कंप्यूटर, कुछ पुराने टीवी, रेडियो, रेट्रो गेम कंसोल, कॉफी मेकर, छोटे डिवाइसे और अन्य चीजों में भी सोना पा सकते हैं। सर्किट बोर्ड, या मदरबोर्ड, इन डिवाइसों के अंदर सोने की विशेषता वाले सबसे प्रमुख घटकों में से एक है। वे अक्सर सोने की एक पतली परत के साथ कोट किए जाते हैं, या फिर सर्किट की लाइनों में सोना या चांदी लगाई जाती है ताकि अलग-अलग कंपोनेंट्स के बीच सिग्नल आसानी से ट्रांसफर हो सकें। कुछ बड़े इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, जैसे सर्वर मदरबोर्ड, में तो एक यूनिट में 1 ग्राम तक सोना हो सकता है, क्योंकि उनके सर्किट्स में सोने का ज्यादा इस्तेमाल होता है।
किसी डिवाइस या स्मार्टफोन के अंदर सोने का और क्या उपयोग होता है?
मदरबोर्ड पर लगे महीन सोने और चांदी के सर्किट का इस्तेमाल संचार के लिए, सर्किटों को इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रूप से जोड़ने के लिए किया जाता है। लेकिन मॉडर्न डिवाइस में कुछ अन्य सर्किट भी होते हैं जिनमें सोना होता है, जैसे सिम कार्ड के कनेक्टर। इसके अलावा, विश्वसनीय कनेक्शन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पोर्ट, कनेक्टर और कॉन्टैक्ट पॉइंट्स पर भी सोने या सोने की परतें चढ़ी होती हैं। ये विशेष तत्व बैटरी, स्पीकर, कैमरा, प्रोसेसर और छोटे घटकों में पाए जा सकते हैं। कनेक्टिविटी के अलावा, सोने का इस्तेमाल इसलिए भी किया जाता है क्योंकि यह जंग नहीं पकड़ता (non-corrosive) है। चूँकि ये तत्व लंबे समय तक डिवाइस के अंदर रहते हैं, आमतौर पर पूरी तरह से सीलबंद, इसलिए जंग लगने या खराब होने की कोई चिंता नहीं होती। इससे डिवाइस के सभी हिस्से लंबे समय तक ठीक से काम करते रहते हैं और इलेक्ट्रिक सिग्नल का प्रवाह बना रहता है।
आपके फोन में मौजूद कीमती धातुएं-जिनमें सोना भी शामिल है- यही एक कारण है कि आपके पुराने डिवाइसों को रीसायकल करने की सलाह दी जाती है। सोने के विशेषज्ञों के अनुसार, सिर्फ एक ग्राम सोना निकालने के लिए लगभग 41 स्मार्टफोन लगते हैं। यह सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों पर लागू होता है। अगर आप चाहें तो अपने पुराने कंप्यूटर टावर शेल्फ या स्टोरेज बॉक्स में बदल सकते हैं, लेकिन उसके अंदर के पार्ट्स, जैसे मदरबोर्ड को हमेशा रीसायकल किया जाना चाहिए। रीसाइक्लिंग तकनीक उपलब्ध धातुओं की सप्लाई में योगदान देती है। अब जब वैज्ञानिकों को पता चल गया है कि “alchemy” से सीसे को सोने में कैसे बदला जाता है, तो शायद इसकी आपूर्ति और भी ज्यादा, शायद अनंत होने की उम्मीद है? लेकिन अफसोस- यह तरीका लंबे समय तक कारगर नहीं है, क्योंकि आखिर में वो फिर से सीसा बन जाता है।
इसलिए, दोस्तों - पुराने गैजेट्स को रीसायकल करते रहिए, यही असली सोने की खान है।