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Monsoon Trip: बारिश का लेना चाहते हैं असली मजा, मुंबई से कुछ ही घंटों की दूरी पर है ये खूबसूरत हिल स्टेशन

Lonavala-Khandala: मानसून में लोनावला और खंडाला एक हरे-भरे स्वर्ग जैसा नजर आता हैं, जहां हर तरफ ताजगी, झरने और धुंध से ढकी पहाड़ियां होती हैं। मुंबई और पुणे से कुछ घंटे की दूरी पर बसे ये हिल स्टेशन बारिश के मौसम में और भी खूबसूरत हो जाते हैं

अपडेटेड Jul 01, 2025 पर 11:19 PM
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मानसून के समय वीकेंड पर यहां काफी भीड़ होती है (Photo Credit: Canva)

मानसून आते ही मुंबई से कुछ घंटे की दूरी पर स्थित लोनावला और खंडाला एक अलग ही जगह बन जाती है। बारिश के समय यहां पर हर तरफ हरियाली और ताजगी ही दिखती है। मुंबई और पुणे से सिर्फ कुछ घंटों की दूरी पर बसे ये हिल स्टेशन बारिश के मौसम में और भी खूबसूरत हो जाते हैं। बारिश के मौसम में ये जंगल, धुंध से ढकी पहाड़ियों और शांत पगडंडियों के बीच लोनावला और खंडाला किसी पेंटिंग से कम नहीं लगता है।

मानसून के समय वीकेंड पर यहां काफी भीड़ होती है। मानसून के मौसम में यहां चारों तरफ पानी और हरियाली ही होता है। आइए जानते हैं इन मानसून किन वजहों से आपको लोनावला की पहाड़ो पर जाना पर जाना चाहिए।

वाटरफॉल


गर्मियों में लोनावला की चट्टानें शांत रहती हैं, लेकिन बारिश के आते ही ये झरनों में बदल जाती हैं। भुशी डैम, कुने फॉल्स और लोहागढ़ का रिवर्स वाटरफॉल तो बस शुरुआत है। मानसून में यहां कई नए झरने भी नजर आते हैं, जो पहले कभी दिखे नहीं होते। ये झरने किसी पुराने रास्ते या चट्टान से अचानक निकलते हैं। बारिश में लोनावला का हर कोना पानी की आवाज और हरियाली से भर जाता है।

लोनावला और खंडाला के जंगल

लोनावला और खंडाला के जंगल हमेशा हरे-भरे रहते हैं, लेकिन बारिश में उनकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। इस मौसम में काई, फर्न और ऑर्किड जैसे पौधे खिल उठते हैं और हर कोना ताजगी से भर जाता है। पहाड़ियां पन्ना जैसे हरे रंगों में चमकने लगती हैं। इस मौसम में सब कुछ इतना सुंदर लगता है कि यकीन ही नहीं होता ये सब असली है।

ट्रेकिंग

अगर आप कोहरे से ढकी पहाड़ियों में ट्रेक का सपना देखते हैं, तो मानसून इसका सही समय है। लोहागढ़, राजमाची या तिकोना जैसे किलों तक जाने वाले रास्ते रोमांच के साथ आपको किसी दूसरी दुनिया जैसे लगते हैं। बादलों के बीच चलते हुए सिर्फ खामोशी, पक्षियों की आवाज और अपनी सांसें सुनाई देती हैं। हर कदम पर छाई धुंध इस अनुभव को और भी खास बना देती है।

पुराना मुंबई-पुणे हाईवे

मानसून में पुराना मुंबई-पुणे हाईवे एक सजीव कहानी जैसा लगता है। कोहरे से ढके मोड़, बारिश में भीगते पेड़ और भुट्टा बेचते लोग इस सफर को यादगार बना देते हैं। ये वो रास्ता है जो आपको रुककर महसूस करने ये याद दिलाता है कि यहां तेज रफ्तार और म्यूजिक की जरूरत नहीं। बस बारिश की आवाज ही सबसे अच्छी धुन बन जाती है।

टाइगर लीप या ड्यूक नोज

मानसून में टाइगर लीप या ड्यूक नोज जैसी जगहें घाटी बादलों से ढक जाती है और कुछ भी साफ नजर नहीं आता। लेकिन इसी धुंध में एक अलग ही जादू होता है। जब सब कुछ छिपा होता है, तब भी वो किसी खूबसूरत नजारे से कम नहीं लगता है।

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