मिजोरम के घने जंगलों में वैज्ञानिकों को बरसाती सांप की एक नई प्रजाति खोजने में सफलता मिली है। यह खोज मिजोरम विश्वविद्यालय और अन्य शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों की टीम ने की है। इस सांप की प्रजाति मानसून के मौसम में सक्रिय होती है और खासतौर पर पहाड़ी और नमी वाले क्षेत्रों में पाई जाती है।
यह नया बरसाती सांप लगभग 900 से 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पर्वतीय जंगलों में पाया गया है। इसे स्थानीय भाषा में ‘रुआरहल’ नाम दिया गया है, जो उसके प्राकृतिक आवास और स्थानीय संस्कृति का प्रतीक है। यह सांप ज्यादातर छोटी नदियों के पास और छायादार जगहों पर रहना पसंद करता है। बरसात के मौसम में यह अधिक सक्रिय हो जाता है और पानी के निकट पाया जाता है, इसलिए इसे रेन स्नेक कहा जाता है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि यह नई प्रजाति अपने आकार, रंग और व्यवहार में आसपास पाई जाने वाली अन्य सांप प्रजातियों से बिल्कुल अलग है। इसका शरीर पतला और रंगत प्रकृति के साथ घुलमिल जाता है, जिससे इसे जंगल में देख पाना मुश्किल होता है। इसके अलावा, यह सांप विषैली नहीं है, जो इसे और भी खास बनाता है। इसकी उपस्थिति जंगल के जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र की समृद्धि को दर्शाती है।
यह खोज मिजोरम के जंगलों में चल रहे विस्तृत जैविक अध्ययन और संरक्षण प्रयासों का हिस्सा है। टीम ने इस प्रजाति का डीएनए टेस्ट भी किया है जिससे इसकी अन्यों से अलग पहचान पक्की हुई। इस प्रजाति के बारे में वैज्ञानिक सोसायटी और पर्यावरणीय संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों ने भी उत्साह व्यक्त किया है।
विज्ञानियों का मानना है कि ऐसे खोज कार्य न केवल जैव विविधता को बेहतर समझने में महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनके संरक्षण से प्राकृतिक आवास भी सुरक्षित रहते हैं। मिजोरम जैसे पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में ऐसी अनजानी और दुर्लभ प्रजातियां जीव जगत का अमूल्य हिस्सा हैं, जिनका अध्ययन और संरक्षण जरूरी है।
इस नई बरसाती सांप की खोज से मिजोरम का जैव विविधता मानचित्र और भी समृद्ध हुआ है। शोधकर्ता भविष्य में भी क्षेत्र के अन्य वन्य जीवों की खोज जारी रखने की योजना बना रहे हैं ताकि जंगलों के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखा जा सके।