15,000 रुपए सैलरी पाने वाले एक शख्स को 33.88 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स नोटिस मिला, 8,500 रुपए सैलरी पाने वाले दूसरे व्यक्ति को 3.87 करोड़ रुपए का नोटिस और तीसरे व्यक्ति को 7.79 करोड़ रुपए का नोटिस मिला है। मार्च में तीन नोटिस उन लोगों को भेजे गए हैं, जो मुश्किल से अपना गुजारा कर रहे हैं। ये मामले पहचान के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। अगर केवल उनकी सैलरी को ही ध्यान में लिया जाए, तो ये लोग इनकम टैक्स भारने के पात्र भी नहीं हैं।
इन पीड़ितों और जिन लोगों से उन्होंने मदद मांगी थी, उनकी तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, कुछ बिजनेस यूनिट ने इन व्यक्तियों की सरकार की ओर से जारी ID नंबर जैसे आधार और पैन कार्ड का इस्तेमाल करके लेनदेन किया।
34 साल के करण कुमार को 33.88 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स नोटिस मिला था। कुमार को वकीलों ने बताया कि महावीर एंटरप्राइजेज नाम की एक कंपनी करण के नाम पर जाली पैन और आधार कार्ड का इस्तेमाल करके दिल्ली में पेट्रोलियम प्रोडक्ट और स्टील के सामान में बड़े पैमाने पर लेनदेन कर रही है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, खैर ब्रांच में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी के रूप में 15,000 रुपए की सैलरी पर काम करने वाले करण कुमार ने मीडिया को बताया, "मुझे 29 मार्च को शाम करीब चार बजे इनकम टैक्स नोटिस मिला। मैंने इनकम टैक्स अधिकारियों से मुलाकात की जिन्होंने मुझे इस संबंध में एक FIR दर्ज कराने की सलाह दी।’’
उन्होंने इस संबंध में चंडौस थाने में एक शिकायत दी। थाना प्रभारी (SHO), चंदौस हरिभान सिंह ने पुष्टि की कि कुमार की शिकायत पर एक मामला दर्ज किया गया है और मामले की जांच की जा रही है।
इससे पहले 28 मार्च को गभाना थाने के अंतर्गत संगोर गांव निवासी मोहित कुमार उस समय हैरान रह गए, जब स्थानीय डाकिया ने उन्हें अंग्रेजी में लिखा एक इनकम टैक्स नोटिस दिया। एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में मामूली कर्मचारी मोहित ने अपने नियोक्ता से मदद मांगी, जिसने एक GST वकील से सलाह ली।
वकील ने उन्हें बताया कि एमके ट्रेडर्स नाम की एक फर्म मोहित के आधार कार्ड का इस्तेमाल करके कारोबार कर रही है।
इनकम टैक्स विभाग के डिजिटल रिकॉर्ड के मुताबिक, एमके ट्रेडर्स 2020 से बड़े पैमाने पर कारोबारी लेन-देन कर रहा था। डिजिटल रूप से मिली इस जानकारी के आधार पर विभाग ने मोहित को 3.87 करोड़ रुपए का नोटिस थमा दिया, जिससे असहाय कर्मचारी परेशान हो गया।
मोहित ने कहा, “मैं 8,500 रुपए की कमाई पर गुजारा करता हूं और अपने बुजुर्ग माता-पिता का भी भरण-पोषण करता हूं। इस नोटिस ने मुझे परेशान कर दिया है। मैं बहुत तनाव में हूं।”
उन्होंने कहा कि उन्होंने नोटिस जारी करने वाले इनकम टैक्स अधिकारी से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। मोहित ने याद किया कि 2020 में उन्होंने दिल्ली में एक नौकरी के लिए आवेदन किया था और अपने सभी पहचान दस्तावेज जमा किए थे।
ऐसे ही एक अन्य मामले में 22 मार्च को एक छोटे जूस विक्रेता रईस अहमद को 7.79 करोड़ रुपए का ऐसा ही इनकम टैक्स नोटिस मिला, जिससे वह हैरान रह गए।
स्थानीय इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों ने कहा कि नोटिस दिल्ली से भेजे गए थे और ‘‘यहां कुछ नहीं किया जा सकता।’’
अलीगढ़ के एक वरिष्ठ इनकम टैक्स वकील ने कहा कि “डिजिटल धोखाधड़ी” के ऐसे मामले डिजिटल पहचान प्रणाली के बड़े पैमाने पर व्यवस्थित दुरुपयोग की ओर इशारा करते हैं।