Bidi story: बीड़ी ने कैसे बनाई भारत में अपनी पहचान, जानें पूरा सच

Bidi story: भारत में हर कोई बीड़ी को जानता है, लेकिन इसके इतिहास और रहस्यों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। क्या आप जानते हैं कि 1600 के दशक से यह धूम्रपान का साधन लोगों की जिंदगी और आजीविका का हिस्सा रहा है? इसके पीछे कई छुपे हुए राज हैं

अपडेटेड Sep 07, 2025 पर 10:14 AM
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Bidi story: 1920 के स्वदेशी आंदोलन के दौरान शिक्षित वर्ग ने सिगरेट छोड़कर बीड़ी अपनाई।

ब्रिटिश शासन और द्वितीय विश्व युद्ध तक बीड़ी उद्योग ने धीरे-धीरे अपनी पकड़ बनाई। 1899 के गुजरात सूखे ने कई परिवारों को बीड़ी बनाने की ओर मोड़ा, जिससे यह केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि जीवन जीने की राह बन गई। रेलवे के आने से तंबाकू और बीड़ी आसानी से गांव-शहर तक पहुंचने लगी। बीड़ी ने जाति, धर्म और समाज की परवाह किए बिना हर किसी को धूम्रपान का साधन दिया। यही नहीं, इस छोटे उद्योग ने ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में जान डाल दी और घर-घर रोजगार पहुंचाया। बीड़ी सिर्फ धुआं नहीं, बल्कि मेहनत, इतिहास और आम जनता की कहानी भी बन गई

महात्मा गांधी और स्वदेशी आंदोलन

1920 के स्वदेशी आंदोलन के दौरान शिक्षित वर्ग ने सिगरेट छोड़कर बीड़ी अपनाई। इससे बीड़ी का दायरा ग्रामीण और निम्न-मध्यम वर्ग से भारतीय अभिजात वर्ग तक फैल गया। स्वतंत्रता संग्राम के समय बीड़ी उद्योग ने समाज के हर वर्ग में अपनी पकड़ बनाई।

बीड़ी की वैश्विक पकड़


आज भारत दुनिया में तंबाकू और बीड़ी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत मुख्यतः बेल्जियम, कोरिया, नाइजीरिया, मिस्र और नेपाल को तंबाकू और बीड़ी निर्यात करता है। 2020 में भारत ने 305 करोड़ रुपये मूल्य का अनिर्मित तंबाकू निर्यात किया।

बीड़ी का उत्पादन और प्रमुख राज्य

बीड़ी का उत्पादन मुख्यतः मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में होता है। ज्यादातर बीड़ी घरों में बनाई जाती है, जहां महिलाएं और बच्चे इसका मुख्य हिस्सा हैं। वार्षिक उत्पादन लगभग 550 अरब बीड़ी प्रति वर्ष है।

बीड़ी बनाने की आसान प्रक्रिया

  1. तेंदू के पत्ते इकट्ठा करना
  2. पत्तों को पानी में भिगोना और सुखाना
  3. पत्तों को सही आकार में काटना
  4. तंबाकू पाउडर से रोल भरना
  5. रोल को तेंदू पत्ते में लपेटकर पैक करना

रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था

बीड़ी उद्योग भारत में लगभग 45.7 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देता है। इसमें तेंदू पत्ता तोड़ने वाले, रोल बनाने वाले और फैक्ट्री मजदूर शामिल हैं। ये उद्योग गरीब महिलाओं और बच्चों की आजीविका का बड़ा स्रोत रहा है।

बीड़ी का समाज और अर्थव्यवस्था पर असर

बीड़ी न केवल लोगों की धूम्रपान आदतों का हिस्सा है, बल्कि ये ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण योगदान देती है। सरकार ने भी इसके रोजगार देने वाले प्रभाव को देखते हुए इसे नियंत्रित करने में सतर्कता बरती है।

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First Published: Sep 07, 2025 10:14 AM

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