Marriage In Same Gotra: एक ही गोत्र में शादी क्यों मानी जाती है जोखिमभरी? जानें असली वजह

Marriage In Same Gotra: शादी से पहले गोत्र मिलाना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि हमारे संस्कारों की सबसे सोच-समझकर बनाई गई प्रथा है। माना जाता है कि गोत्र पूर्वजों की पहचान है, और इसका मेल न होने पर ही विवाह शुभ माना जाता है। यही नियम पीढ़ियों से परिवार और रिश्तों की मर्यादा सुरक्षित रखता आया है

अपडेटेड Dec 02, 2025 पर 12:54 PM
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Marriage In Same Gotra: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर लड़का और लड़की का गोत्र एक ही है, तो उनके पूर्वज भी समान हैं।

आपने अक्सर सुना होगा कि शादी में लड़का और लड़की का गोत्र मिलाना क्यों जरूरी है। यह सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और जैविक सुरक्षा से जुड़ी प्रथा है। सनातन धर्म में हर व्यक्ति किसी न किसी सप्तऋषि के वंशज से जुड़ा माना जाता है, और यही गोत्र कहलाता है। गोत्र का मिलान ये सुनिश्चित करता है कि एक ही खून से जुड़े लोग आपस में विवाह न करें, ताकि संतानों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं न आएं। सिर्फ धार्मिक नियम नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी इसे महत्व देते हैं।

अगर एक ही गोत्र में विवाह होता है, तो संतानों में आनुवांशिक दोष और अन्य परेशानियाँ देखने को मिल सकती हैं। यही कारण है कि सात पीढ़ियों तक गोत्र बदलने के बाद ही विवाह की मान्यता दी जाती है। इस प्रथा ने सदियों से हिंदू समाज में परिवार और संतानों की सुरक्षा सुनिश्चित की है।

एक ही गोत्र का मतलब क्या होता है


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर लड़का और लड़की का गोत्र एक ही है, तो उनके पूर्वज भी समान हैं। इसे भाई-बहन जैसा रिश्ता माना जाता है। हालांकि सात पीढ़ियों के बाद गोत्र बदल जाता है, और तब एक ही गोत्र में शादी करने की अनुमति हो जाती है। इस धारणा को लेकर समाज में कुछ मतभेद भी मौजूद हैं।

किन गोत्रों में शादी वर्जित है

हिंदू धर्म में कुछ गोत्रों में शादी करना मना है। शादी के समय तीन गोत्रों को छोड़ दिया जाता है:

  1. माता का गोत्र
  2. पिता का गोत्र
  3. दादी का गोत्र बाकी किसी भी गोत्र में विवाह किया जा सकता है।

एक ही गोत्र में विवाह की समस्याएं

मान्यता है कि एक ही गोत्र में विवाह करने पर दंपती को कई समस्याएं हो सकती हैं। सबसे बड़ी समस्या होती है संतानों में मानसिक और शारीरिक विकृति।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

विज्ञान भी मानता है कि एक ही गोत्र या कुल में शादी करने से आनुवांशिक दोष पैदा हो सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे दंपती की संतानों में विचारधारा में समानता अधिक होती है और नए दृष्टिकोण या नयापन कम देखने को मिलता है।

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