ग्रेटर नोएडा में उबर टैक्सी कंपनी को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। ईकोटेक-1 पुलिस ने मंगलवार रात चेकिंग के दौरान दो शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया, जो फर्जी आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस की मदद से उबर में ड्राइवर आईडी बनाकर रोजाना हजारों रुपये की ठगी कर रहे थे। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मोहम्मद उमेर (निवासी सुंदर नगरी, दिल्ली) और मुजफ्फर जमाल (निवासी भजनपुरा, दिल्ली) के रूप में हुई है। ये दोनों आरोपी खुद ही ड्राइवर और खुद ही सवारी बनकर लंबी दूरी की फर्जी बुकिंग करते थे।
कंपनी से एडवांस में मिलने वाली रकम हड़प लेते थे। एक महीने से ज्यादा समय तक चली इस ठगी के दौरान उबर कंपनी को करीब 10 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। पुलिस अब गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।
खुद ही ग्राहक बनकर करते थे बुकिंग
गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में कबूला कि वे उबर पर फर्जी आईडी बनाकर पहले छोटी दूरी की ट्रिप लेते थे और कुछ दिनों बाद लंबी दूरी की बुकिंग करके खुद ही ड्राइवर और खुद ही सवारी बन जाते थे। उबर कंपनी बुकिंग के पैसे एडवांस में देती है, जिसे ये हड़प लेते थे और फिर उस आईडी को ब्लॉक कर देते थे। इस तरह रोजाना 40-50 हजार रुपये की ठगी करते थे।
हाईटेक तरीकों से बनाते थे नकली दस्तावेज
शातिर बदमाश फर्जी आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस ऑनलाइन ऐप्स और एडिटिंग टूल्स की मदद से तैयार करते थे। गूगल लेंस की मदद से फोटो बदल दी जाती थी और फिर एक आधार से 10 से ज्यादा फर्जी आईडी बना लेते थे। पुलिस ने इनके पास से 21 मोबाइल, 500 फर्जी आधार कार्ड की फोटो कॉपी, प्रिंटर, बैग और एक कार बरामद की है।
कम पढ़े-लिखे, पर ठगी में तेज
गिरफ्तार मुजफ्फर 12वीं पास है और उमेर 10वीं तक पढ़ा है। पढ़ाई कम होने के बावजूद ये टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल कर रहे थे और उबर जैसी बड़ी कंपनी को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे थे। जांच में खुलासा हुआ कि पिछले एक महीने से ये गैंग इस ठगी को अंजाम दे रहा था और अब तक 10 लाख रुपये से ज्यादा की चपत लगा चुका है।
पुलिस जुटी गैंग के बाकी सदस्यों की तलाश में
पुलिस को शक है कि इस गैंग में और भी लोग शामिल हैं। अब उबर कंपनी से संपर्क कर आरोपियों की बनाई गई फर्जी आईडी का पूरा डेटा मंगवाया जाएगा ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके और नेटवर्क का खुलासा हो सके।