Hindu Wedding Rituals: 90% लोग नहीं जानते! दुल्हन को लेफ्ट साइड बैठाने के पीछे छिपा ये राज

Hindu Wedding Rituals: ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। हिंदू शादी में हर रिवाज़ का अपना अर्थ होता है, और उन्हें बेहद शुभ माना जाता है। इन्हीं में एक दिलचस्प प्रथा है- दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठना। लोग इसे बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन इसके पीछे की वजह कई लोगों को नहीं पता होती

अपडेटेड Dec 01, 2025 पर 1:19 PM
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Hindu Wedding Rituals: देवी शक्ति का प्राकट्य भगवान शिव के बाएं अंग से हुआ माना जाता है।

हिंदू शादी सिर्फ रस्मों का मेल नहीं होती। यह भावनाओं और मान्यताओं से जुड़ा एक पवित्र संस्कार है। हर रिवाज का अपना अर्थ होता है। हर कदम में शुभता छिपी होती है। विदाई से लेकर सिंदूर तक हर परंपरा का संदेश अलग होता है। इन्हीं रस्मों में एक खास रिवाज है—दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठना। ये बात हम बचपन से देखते आए हैं। शादी में पंडित भी बार-बार इसी बात पर जोर देते हैं। लोग मानते हैं कि यही परंपरा शादी को पूर्ण बनाती है। ये सिर्फ एक तरीका नहीं, बल्कि एक मान्यता है।

इसमें रिश्ते का भाव भी शामिल है। ये नियम पीढ़ियों से चला आ रहा है। आज भी हर शादी में इसे जरूरी माना जाता है। यही वजह है कि इस रिवाज को लेकर लोगों में हमेशा उत्सुकता रहती है। आखिर क्यों दुल्हन को हमेशा बाईं तरफ बैठाया जाता है?

वामांगिनी का महत्व


हिंदू शास्त्रों में पत्नी को वामांगिनी कहा गया है—अर्थात “पति के बाएं अंग में स्थित।” बायां हिस्सा हृदय के सबसे पास माना जाता है, इसलिए विवाह के दौरान दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठना इस बात का प्रतीक है कि वह जीवनभर उसके दिल के करीब रहेगी।

कहते हैं कि हवन या पूजन तभी पूर्ण माना जाता है जब वधू वर के बाएं बैठकर सारे संस्कार निभाए। ये साथ में प्रेम, सम्मान और संतुलन का संकेत भी देता है।

देवी-देवताओं से जुड़ी पौराणिक मान्यता

ये परंपरा देवी-देवताओं की कथाओं से भी गहराई से जुड़ी हुई है।

  • माता लक्ष्मी हमेशा भगवान विष्णु के बाईं ओर विराजती हैं।
  • देवी शक्ति का प्राकट्य भगवान शिव के बाएं अंग से हुआ माना जाता है।
  • यही स्वरूप हमें अर्धनारीश्वर में दिखता है, जहां शिव और शक्ति एक ही देह के दो हिस्से हैं।

इसी दिव्य रूप का प्रतिरूप माना जाता है विवाह संस्कार। इसलिए वधू को वर के बाईं ओर स्थान देना शुभ, पवित्र और परंपरानुसार आवश्यक समझा गया है।

ज्योतिषीय मान्यता

ज्योतिष की दृष्टि से भी ये परंपरा बेहद शुभ मानी जाती है।

  • सातवां भाव — विवाह का प्रतीक
  • नवां भाव — भाग्य का भाव
  • ग्यारहवां भाव — लाभ का स्थान

कहा जाता है कि दुल्हन का दूल्हे के बाईं ओर बैठना इन शुभ भावों को मजबूत करता है। इससे दाम्पत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है, सौभाग्य आता है और आर्थिक स्थिरता भी प्राप्त होती है। इसलिए गृह प्रवेश से लेकर विवाह के अनुष्ठानों तक वधू को हमेशा बाईं ओर बैठाया जाता है।

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