रेलवे ट्रैक सामान्य लोहे से नहीं बने होते। इन्हें विशेष प्रकार की मजबूत धातु, जैसे कार्बन स्टील और हाई कार्बन मैंगनीज स्टील से तैयार किया जाता है। ये धातु आम लोहे की तुलना में कई गुना मजबूत होती है और जंग प्रतिरोधी होती है। यही वजह है कि रेलवे ट्रैक समय के साथ भी टिकाऊ रहते हैं। इस स्टील की संरचना ही पटरियों को बारिश, नमी और बदलते मौसम से बचाती है। ट्रैक की सतह पर ट्रेनें लगातार चलती रहती हैं, जिससे हल्की जंग अपने आप मिट जाती है। इसके अलावा, रेलवे पटरियों पर विशेष हीट ट्रीटमेंट और कोटिंग की जाती है, जो उन्हें जंग और नमी से बचाने में मदद करती है।
मोटी और यूनिफॉर्म धातु होने के कारण जंग जल्दी अंदर तक नहीं फैलती। रेलवे ट्रैक को ऊंचाई पर बिछाया जाता है और स्लोपिंग डिजाइन के साथ बैलास्ट लगाई जाती है, जिससे पानी और नमी जमा नहीं होती। इन सभी कारणों से रेलवे ट्रैक लंबे समय तक सुरक्षित, मजबूत और चमकदार बने रहते हैं।
ट्रैक पर लगातार चलने वाली ट्रेनें सतह की हल्की जंग को अपने पहियों से हटा देती हैं। इसके अलावा, रेलवे ट्रैक पर विशेष हीट ट्रीटमेंट और कोटिंग की जाती है, जिससे जंग और नमी के खिलाफ प्राकृतिक सुरक्षा मिलती है। मोटी और यूनिफॉर्म धातु होने से जंग जल्दी अंदर तक नहीं फैलती।
रेलवे ट्रैक को ऐसी ऊंचाई पर बिछाया जाता है कि पानी जमा न हो। बैलास्ट और स्लोपिंग डिजाइन नमी को नीचे बहा देते हैं। लगातार निरीक्षण और मेंटेनेंस के जरिए छोटी-मोटी जंग को हटाया जाता है। संवेदनशील इलाकों में ट्रैक पर केमिकल आधारित एंटी रस्ट लुब्रिकेंट भी लगाया जाता है।
सतह की मजबूती और हल्की जंग
लाखों किलो वजन वाली ट्रेनें ट्रैक पर दबाव डालती हैं, जिससे स्टील की सतह घनी और मजबूत हो जाती है। इस वजह से जंग जमने की जगह कम रहती है। ट्रैक के किनारे हल्की सतही जंग हो सकती है, लेकिन ये पटरी की उम्र पर कोई असर नहीं डालती और सुरक्षित मानी जाती है।