Science Fact: बचपन से देखते आए हैं प्लेन को उड़ते हुए, अब जानिए आखिर वो हवा में टिकता कैसे है?
आसमान में उड़ता विशालकाय हवाई जहाज देखकर अक्सर हम हैरान रह जाते हैं—आखिर ये भारी भरकम मशीन हवा में कैसे तैरती है? लेकिन इसका रहस्य कोई रहस्यमयी ताकत नहीं, बल्कि विज्ञान है। अगर आप फिजिक्स के कुछ आसान नियम जान लें, तो समझ जाएंगे कि प्लेन उड़ना कोई जादू नहीं, पूरी तरह लॉजिक है
जब कोई वस्तु तेजी से आगे बढ़ती है, तो हवा उसे पीछे की ओर धकेलती है। यही है ड्रैग या घर्षण बल।
आसमान में उड़ता हुआ प्लेन देखना हर किसी के लिए एक रहस्य जैसा होता है। एक विशाल और भारी मशीन जो सैकड़ों लोगों को लेकर तेजी से हवा में उड़ जाती है ये सोचने पर भी हैरान कर देने वाला अनुभव है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी भारी वस्तु हवा में कैसे स्थिर रहती है और उड़ान भर पाती है? इसके पीछे छुपा है विज्ञान का अद्भुत खेल, जिसमें चार मुख्य बल—थ्रस्ट, ड्रैग, वेट और लिफ्ट—एक साथ मिलकर काम करते हैं। ये शक्तियां मिलकर प्लेन को न सिर्फ हवा में उठाती हैं, बल्कि उसे नियंत्रित भी करती हैं।
अगर हम इन चार बलों की कहानी समझ लें, तो हमें पता चलेगा कि हवा और गति का सही तालमेल कैसे प्लेन को उड़ने में मदद करता है। आइए, इस रोमांचक सफर की शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि आखिर प्लेन कैसे हवा में उड़ता है!
थ्रस्ट: हवा को पीछे धकेलना
थ्रस्ट यानी वो बल जो प्लेन को आगे की ओर धकेलता है। प्लेन के पंखों पर लगे इंजन हवा को तेजी से खींचते हैं, उसे कंप्रेस करते हैं, और फिर तेजी से पीछे छोड़ते हैं। इसका असर वही होता है जैसे गुब्बारे में हवा भरकर छोड़ दें वो तेजी से आगे भागता है। यही हवा पीछे फेंकने से मिलने वाली प्रतिक्रिया, थ्रस्ट कहलाती है, जो प्लेन को गति देती है।
इंजन के 5 सुपरहीरो पार्ट्स
प्लेन का इंजन एक बेहद जटिल मशीन है, लेकिन इसके पांच मुख्य हिस्सों को जान लें तो काम आसान हो जाता है
Fan (फैन): सामने लगा टाइटेनियम का विशाल पंखा हवा खींचता है।
Compressor (कंप्रेसर): हवा को दबाकर उसकी शक्ति बढ़ाता है।
Combustor (कंबस्टर): हवा को ईंधन के साथ मिलाकर जलाता है।
Turbine (टरबाइन): गर्म हवा को घूमाकर फैन और कंप्रेसर को फिर से गति देता है।
Nozzle (नॉजल): अंत में गर्म और दबाई गई हवा को पीछे छोड़ता है जिससे थ्रस्ट बनता है।
यह पूरी प्रक्रिया न्यूटन के तीसरे नियम पर काम करती है—हर क्रिया की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
Drag: हवा से होने वाला विरोध
जब कोई वस्तु तेजी से आगे बढ़ती है, तो हवा उसे पीछे की ओर धकेलती है। यही है ड्रैग या घर्षण बल। जैसे कार चलाते समय हाथ बाहर निकालने पर हवा उसे पीछे धकेलती है, वैसे ही प्लेन पर हवा का जोर भी पड़ता है। इसी ड्रैग को कम करने के लिए प्लेन के पहियों को उड़ान के बाद भीतर कर लिया जाता है और उसके डिजाइन को एयरोडायनामिक बनाया जाता है।
वेट और लिफ्ट
हर वस्तु की तरह प्लेन का भी एक भार होता है जो पृथ्वी उसे नीचे खींचने के लिए लगाती है। ये वेट है। लेकिन प्लेन के पंखों को खास एंगल में डिजाइन किया जाता है जिससे हवा ऊपर और नीचे से अलग-अलग गति से गुजरती है। इससे ऊपर की हवा का दबाव कम और नीचे की हवा का दबाव ज्यादा होता है। यही दबाव का अंतर लिफ्ट फोर्स पैदा करता है जो प्लेन को ऊपर उठाता है।
कब उड़ता है प्लेन, और कब करता है लैंड?
जब थ्रस्ट और लिफ्ट का जोर ज्यादा होता है, तो प्लेन ऊपर उठता है। जब सारे बल बराबर हो जाते हैं, तब वो सीधी लाइन में उड़ता है। लेकिन जैसे ही ड्रैग और वेट का प्रभाव बढ़ता है—जैसे लैंडिंग से पहले—तो प्लेन धीरे-धीरे नीचे आने लगता है। इस समय इंजन की गति कम कर दी जाती है जिससे थ्रस्ट घटता है और प्लेन धीरे-धीरे जमीन की ओर लौट आता है।