क्या आपने किसी ऐसे गांव के बारे में सुना है। जहां के लोग खाना किसी और देश में खाते हों और सोने के लिए किसी और देश में जाते हों। अगर आपने ऐसा कुछ नहीं सुना है तो हम आपको बता दें कि ऐसा अनोखा गांव भारत में ही है। यह गांव जितना खूबसूरत है, उतनी ही अनोखी यहां की कहानी भी रोचक है भारत के आखिरी छोर में लोंगवा गांव बसा हुआ है। इस गांव के लोग भारत में खाते हैं। मतलब इनकी किचन भारत में बनी है। इसके बाद सोने के लिए म्यांमार जाते हैं। कहने का मतलब ये हुआ कि इनका बेडरूम म्यांमार में बना हुआ है।
लोंगवा गांव(Longwa Village) भारत के नागालैंड(Nagaland) और म्यांमार(Myanmar) की सीमा पर स्थित है। मतलब यह गांव दो देशों के अलग अलग हिस्सों में आधा अधा बटा हुआ है। यह गांव नागालैंड के मोन जिले में बसा हुआ है। जो देश के आखिरी गांव के नाम से भी जाना जाता है। इतना ही नहीं भारत से कुछ लोग म्यांमार खेती भी करने जाते हैं। वहीं कुछ लोग म्यांमार से भारत खेती करने आते हैं।
इस गांव की खूबसूरती देखने लायक है। यह गांव जंगलों के बीच में बसा है। यहां आदिवासी जनजाति रहती है। इसका आधा हिस्सा भारत में है तो वहीं आधा हिस्सा म्यांमार में है। साल 1970-71 के बीच इस गांव के बीच से बॉर्डर गुजरा था। तभी से यह दो हिस्सों में बंट गया है। ऐसे में कुछ लोगों के घरों के किचन भारत में हैं। वहीं बेडरूम म्यांमार में है। यही वजह है कि लोग खाना खाने के लिए भारत आते हैं और सोने के लिए म्यांमार जाते हैं। सीमा पर गांव होने की वजह से यहां के लोगों को तकनीकी रूप से दोनों देशों की नागरिकता दी गई है। ऐसे में इन्हें भारत आने-जाने के लिए न तो पासपोर्ट की जरूरत होती है और न ही वीजा की जरूरत पड़ती है। ये लोग बिना पासपोर्ट वीजा के दोनों देशों में आसानी से घूम सकते हैं।
कभी 'हेड हंटर्स' थे यहां के लोग
इस आदिवासी क्षेत्र के लोगों को बेहद खूंखार माना जाता है। इन लोगों को हेड हंटर्स भी कहा जाता है। इसकी वजह ये है कि यहां के लोगों के बीच दुश्मन का सिर काटने की परंपरा रही है। जहां कबीले की सत्ता हासिल करने के लिए अक्सर पड़ोसी गांव से लड़ाई होती रहती थी। उस दौर में ये लोग इंसानों को मारकर उनके सिर अपने साथ ले जाते थे। हालांकि साल 1940 में इस पर रोक लगा दी गई थी। अब यहां हेड हंटिंग नहीं होती है।