दुनिया में मच्छरों का आतंक ऐसा है कि शायद ही कोई कोना इससे बचा हो। ये छोटे-से कीड़े न सिर्फ रातों की नींद हराम कर देते हैं बल्कि कई खतरनाक बीमारियों को भी लेके आते हैं। हर साल लाखों लोग इनके कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। लेकिन सोचिए, अगर कोई ऐसी जगह हो जहां ये भिनभिनाते दुश्मन बिल्कुल न मिलें! जी हां, दुनिया में एक ऐसा देश है जहां मच्छर नाम की कोई समस्या ही नहीं है। यहां लोग बिना मच्छरदानी के चैन की नींद सोते हैं और कानों के आसपास भनभनाने की आवाज सुनने को नहीं मिलती।
ये जगह इतनी खास है कि वैज्ञानिक भी इसके रहस्य को पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। सवाल उठता है आखिर ऐसा कौन-सा देश है जो पूरी तरह मच्छर-मुक्त है, जबकि उसके आस-पास के देशों में ये कीड़े खूब पनपते हैं?
क्यों नहीं मिलते मच्छर आइसलैंड में?
आइसलैंड के पड़ोसी नॉर्वे, स्कॉटलैंड, डेनमार्क और यहां तक कि ग्रीनलैंड में भी मच्छर आसानी से पनपते हैं। इसके बावजूद आइसलैंड पूरी तरह मच्छर-मुक्त है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां की समुद्री जलवायु, पानी और मिट्टी की रासायनिक संरचना मच्छरों के प्रजनन के अनुकूल नहीं है। हालांकि, ये अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है।
मच्छरों का इतिहास और आतंक
मच्छर धरती पर 30 मिलियन वर्ष से मौजूद हैं और इनकी 3,500 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। नर मच्छर केवल 6–7 दिन जीते हैं जबकि मादाएं अंडे देकर तेजी से इनकी आबादी बढ़ाती रहती हैं। केवल 6% मादा मच्छर ही मनुष्यों को काटती हैं और उनमें से आधी बीमारियां फैलाती हैं।
इंसानों के लिए सबसे खतरनाक दुश्मन
मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जीका, पीला बुखार और वेस्ट नाइल वायरस जैसी बीमारियों के पीछे यही छोटे कीड़े जिम्मेदार हैं। रोजाना वयस्क मच्छरों की लगभग 30% आबादी मरती है, लेकिन मादाएं इतनी तेजी से अंडे देती हैं कि उनकी संख्या फिर बढ़ जाती है।
आइसलैंड के लोग क्यों हैं खुशकिस्मत
आइसलैंड में न तो मच्छर काटते हैं और न ही रात में भिनभिनाते हैं। यहां लोग बिना मच्छरदानी के चैन से सो सकते हैं। दिलचस्प बात ये है कि आइसलैंड में मच्छर केवल एक ही जगह मौजूद हैं नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, जहां उन्हें नमूने के तौर पर शराब से भरे जार में संरक्षित किया गया है।
क्या ग्लोबल वार्मिंग बदलेगी तस्वीर?
वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों को डर है कि बढ़ते जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में आइसलैंड भी मच्छरों से अछूता नहीं रहेगा। तापमान में हल्का-सा भी बदलाव इनकी प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है।
अगर मच्छर दुनिया से गायब हो जाएं तो?
मच्छर भले इंसानों के लिए मुसीबत हों, लेकिन ये पारिस्थितिकी तंत्र के अहम हिस्से हैं।
परागण में योगदान: मच्छर पौधों के पराग को इधर-उधर फैलाते हैं जिससे नए पौधों का जन्म होता है।
खाद्य श्रृंखला में भूमिका: कई कीड़े और मछलियां मच्छरों को खाती हैं। इनके खत्म होने से ये जीव भी प्रभावित होंगे।