Nepal Living Goddess: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में हाल ही में नई जीवित कुमारी चुनी गई। नेपाल की प्राचीन परंपरा के अनुसार जीवित कुमारी को देश में देवी मान कर पूजा जाता है। इस साल आर्यतारा शाक्य को जीवित कुमारी के रूप में चुना गया है। आर्यतारा मात्र 2 साल की है और उसमें 32 गुण पाए गए हैं। नेपाल में दो से चाल की उम्र की लड़कियों को देश की जीवित कुमारी का दर्जा दिया जाता है। इस पद पर चुनी जाने वाली लड़कियों को कई कठिन परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ता है। ‘कुमारी’ चुने जाने के बच्ची अपने माता-पिता के घर नहीं रहती है। उसे अपना घर तब तक के लिए छोड़ना होता है जब तक कोई अन्य जीवित देवी उसकी जगह नहीं ले लेती। आइए जानें इस परंपरा के बारे में सबकुछ
इस तरह चुनी जाती है कुमारी देवी
जीवित देवी के रूप में वही बच्ची चुनी जाती है, जिसमें 32 गुण मौजूद होते हैं। जीवित कुमारी की परीक्षा में देखा जाता है कि उनके अंदर कितना साहस है। यह उनके अंदर दैवीय गुण होने का संकेत होता है। फिर इस बच्ची की एक झलक पाने के लिए हजारों लोग वहां पहुंचते हैं। इस परीक्षा प्रक्रिया को नेपाल की आर्यतारा ने पास कर लिया है। इस प्राचीन अनुष्ठान के तहत अब ढाई साल की ‘आर्यतारा शाक्य’ नेपाल की शाही जीवित देवी ‘कुमारी’ का पद संभालेंगी।
कुमारी के रूप में चुनी जाने वाली बच्ची में सुंदरता, शारीरिक शुद्धता, शांत स्वभाव, दैवीय गुण, शरीर पर कोई घाव या दाग न हो, अंधेरे से डरती न हो, सभी दांत स्वस्थ हों और असाधारण निर्भयता जैसे गुण शामिल होने चाहिए। देवी के रूप में शाक्य कुल की बच्ची का ही चुनाव किया जाता है। साथ ही इस बच्ची के माता-पिता दोनों काठमांडू के शक्य समुदाय से होना अनिवार्य है।
हिंदू देवी तलेजू का अवतार मानी जाती है कुमारी देवी
किस तरह की होती है बच्ची की परीक्षा?
परंपरा के अनुसार, ‘कुमारी’ बनने के लिए बच्ची को कठिन साहस की परीक्षा देनी होती है। उसे कई बलि दिए गए भैंसों और रक्त में नाचते हुए नकाबपोश पुरुषों को दिखाया जाता है। इस दौरान डर का कोई भी लक्षण नजर आने पर बच्ची को देवी तलेजू का अवतार बनने के योग्य नहीं माना जाता है।
कुमारी घर में नहीं होतीं आधुनिक सुविधाएं
नेपाल की जीवित कुमार के लिए विशेष आवास बनाया जाता है। इसमें किसी तरह की कोई आधुनिक सुविधाएं नहीं होती हैं। इस दौरान माता-पिता को अपनी बेटी से मिलने की अनुमति नहीं होती है और वो अपनी बच्ची को केवल तभी देख पाते हैं जब कुमारी साल में लगभग 13 बार विशेष आयोजनों और स्थानों पर जाती है।
आर्यतारा से पहले तृष्णा शाक्य थीं जीवित देवी
वर्तमान कुमारी आर्यतारा, तृष्णा शाक्य की उत्तराधिकारी बनी हैं। परंपरा के अनुसार, किशोरावस्था में प्रवेश करते ही तृष्णा का कुमारी काल समाप्त हो गया। इसके बाद, उन्हें विशेष प्रार्थनाओं और ज्योतिषीय मूल्यांकन के साथ घर ले जाया गया। इसी के तहत अष्टमी तिथि को काठमांडू के ऐतिहासिक कुमारी घर में आर्यतारा की औपचारिक पूजा की गई।