उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में इन दिनों नेपाल से भटके जंगली हाथियों का आतंक देखने को मिल रहा है। जंगलों से बाहर आकर ये खेतों में घुस रहे हैं, गेंहू की फसलें रौंद रहे हैं और चेनलिंक फेंसिंग तोड़ रहे हैं। वन विभाग की 40 सदस्यीय टीम लगातार इन्हें वापस खदेड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन ये हाथी मानो यहीं का माहौल पसंद कर चुके हैं। साल 2025 की शुरुआत में नेपाल की शुक्लाफांटा सेंचुरी से पांच हाथियों का झुंड भारत आया था, लेकिन उत्तराखंड की सीमा में एक बाघ के हमले से वे बिछड़ गए।
तब से ये हाथी पीलीभीत में ही घूम रहे हैं और किसानों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। अब सवाल ये है कि क्या वन विभाग इन्हें नेपाल भेज पाएगा या पीलीभीत के जंगल ही इनका नया घर बन जाएंगे।
नेपाल से भटके, पीलीभीत में फंसे हाथी
वर्ष 2025 की शुरुआत में नेपाल की शुक्लाफांटा सेंचुरी से 5 हाथियों का एक झुंड पीलीभीत में दाखिल हुआ था। उत्तराखंड वन सीमा क्षेत्र में विचरण के दौरान इन पर एक बाघ ने हमला कर दिया, जिससे ये झुंड दो भागों में बंट गया। अपने साथियों से बिछड़े ये हाथी अब पिछले दो महीनों से माला व महोफ रेंज में घूमते नजर आ रहे हैं।
गेहूं की फसलों को भारी नुकसान
सोमवार देर रात ये हाथी गजरौला इलाके के वैबहा फार्म में देखे गए। हाथियों का झुंड विचरण करते-करते अवतार सिंह सरोआ के खेतों में पहुंच गया और उनकी पकी हुई गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया। गेहूं की कटाई के समय हाथियों की दस्तक से किसान परेशान हैं। जंगल में जाने-आने के दौरान हाथियों की वजह से चेनलिंक फेंसिंग भी टूट रही है।
40 वनकर्मियों की मेहनत बेकार
पिछले दो महीनों से वन विभाग की टीम इन हाथियों को वापस नेपाल भेजने की कोशिश कर रही है, लेकिन वे माला रेंज में ही डटे हुए हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के माला रेंज अधिकारी रॉबिन सिंह ने बताया कि मंगलवार को हाथियों को जंगल से बाहर विचरण करते देखा गया।वन विभाग लगातार इन पर निगरानी बनाए हुए है। साथ ही ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है ताकि कोई अनहोनी न हो।
फिलहाल, ये कहना मुश्किल है कि ये हाथी कब तक नेपाल वापस जाएंगे। वन विभाग की कोशिशें जारी हैं, लेकिन हाथी अपने नए ठिकाने पर डटे हुए हैं। किसानों और ग्रामीणों की चिंता बढ़ती जा रही है। अब देखना ये होगा कि क्या वन विभाग हाथियों को वापस भेजने में कामयाब होता है या नहीं!