Indian Railways: इंजन में टॉयलेट न होने पर ऐसे निपटते हैं लोको पायलट, सुनकर चौंक जाएंगे

Indian Railways: क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन दौड़ते वक्त लोको पायलट वॉशरूम के लिए कहां जाते होंगे? क्योंकि इंजन में टॉयलेट नहीं होता, तो सफर के बीच अचानक जरूरत पड़ने पर वे क्या करते हैं? यह सवाल सुनने में छोटा है, लेकिन जवाब जानकर आपको रेलवे के कामकाज की दिलचस्प झलक मिलेगी

अपडेटेड Aug 10, 2025 पर 8:13 AM
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Indian Railways: ट्रेन के इंजन में टॉयलेट क्यों नहीं होता?

भारतीय रेल का इंजन सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि देश की जीवनरेखा को गतिमान रखने वाली ताकत है। इसका हर खास इंजीनियरिंग और उच्च तकनीक का नतीजा है, जिसे सिर्फ एक ही उद्देश्य के लिए तैयार किया गया है ट्रेन को सुरक्षित, तेज और भरोसेमंद तरीके से गंतव्य तक पहुंचाना। यहां आराम या सुविधाओं से ज्यादा प्राथमिकता संचालन और नियंत्रण को दी जाती है। यही वजह है कि इंजन का हर इंच स्थान कंट्रोल पैनल, मोटर, ब्रेक सिस्टम और अन्य महत्वपूर्ण मशीनरी से भरा होता है। बाहरी दुनिया के लिए ये भले एक साधारण केबिन जैसा दिखे, लेकिन अंदर ये पूरी तरह तकनीकी उपकरणों से भरा कंट्रोल हब होता है।

इस डिजाइन में टॉयलेट जैसी सुविधा के लिए जगह निकालना लगभग असंभव है, क्योंकि थोड़ी भी फेरबदल से संचालन की क्षमता और सुरक्षा मानकों पर असर पड़ सकता है। यही कारण है कि लोको पायलट को इस जरूरत के लिए हमेशा स्टेशन का सहारा लेना पड़ता है।

लोको पायलट की दिनचर्या और समाधान


जब लोको पायलट को टॉयलेट की जरूरत पड़ती है, तो उन्हें अगले स्टेशन तक इंतजार करना पड़ता है। ट्रेनें चाहे छोटी हों या लंबी दूरी की, स्टेशन पर कुछ मिनट रुकती ही हैं—जहां ड्राइवर रेलवे द्वारा बनाए गए रेस्टरूम का इस्तेमाल कर सकते हैं। लंबी ड्यूटी से पहले लोको पायलट आमतौर पर फ्रेश होकर निकलते हैं, ताकि बीच सफर में ज्यादा परेशानी न हो। पुराने समय में भी यही तरीका अपनाया जाता था, चाहे स्टीम इंजन हो या डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन।

मुश्किलें और चुनौतियां

गर्मी, लंबी दूरी और स्टेशनों के बीच लंबा अंतराल लोको पायलट के लिए चुनौती बन सकता है। कभी-कभी उन्हें कई घंटे तक इंतजार करना पड़ता है, जो उनकी सुविधा और एकाग्रता को प्रभावित करता है। लगातार ड्राइविंग करते हुए इस तरह की असुविधा उनके काम के अनुभव पर असर डालती है। हालांकि बड़े स्टेशनों पर बेहतर रेस्टरूम सुविधाएं दी गई हैं, लेकिन रास्ते में आने वाले छोटे स्टेशनों पर यह हमेशा उतनी अच्छी स्थिति में नहीं होतीं।

रेलवे की नई पहल और भविष्य की उम्मीदें

लोको पायलट लंबे समय से इंजन में टॉयलेट लगाने की मांग कर रहे हैं। रेलवे अब इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है और कुछ आधुनिक इंजनों में अटैच टॉयलेट की टेस्टिंग भी शुरू हो चुकी है। वंदे भारत जैसी ट्रेनों में पहले से ही इंजन के साथ टॉयलेट की सुविधा मौजूद है, जिससे लोको पायलट को राहत मिलती है। भविष्य में जब ये तकनीक सभी इंजनों में लागू हो जाएगी, तो लोको पायलट को स्टेशन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा और उनका सफर अधिक आरामदायक होगा। रेलवे का मकसद न केवल ट्रेन को सुरक्षित और तेज चलाना है, बल्कि अपने स्टाफ की बुनियादी जरूरतों का भी ध्यान रखना है।

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Tags: #IRCTC

First Published: Aug 10, 2025 8:13 AM

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