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ये तो हद हो गई, सिनेमा हॉल में भी काम! बेंगलुरु में फिल्म देखने गई महिला का लैपटॉप के साथ फोटो हुआ वायरल

बेंगलुरु में एक महिला का फोटो तेजी से वायरल हो रहा है। ये महिला किसी सिनेमा हॉल में लैपटॉप पर काम करती हुई नजर आ रही है। किसी ने हॉल में इसकी फोटो खींच कर रेडिट पर पोस्ट कर दी है। ये पोस्ट आने के बाद से बेंगलुरु के वर्क कल्चर को लेकर बहस शुरू हो गई है।

अपडेटेड Sep 12, 2025 पर 9:49 AM
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बैंगलुरू के एक सिनेमा हॉल में लोका फिल्म देखने कई महिला का फोटो हुआ वायरल

1960 में एक फिल्म आई थी ‘अपना घर’। इसमें एक गाना था ‘आराम है हराम’। बेंगलुरु के युवाओं ने लगता है कि इसे कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया है। कम से कम रेडिट पर हाल ही में वायरल हुई इस पोस्ट को देखकर तो कोई भी यही कहेगा। वैसे भी हमारे देश में हफ्ते में 70 घंटे काम करने पर पहले से ही बहस छिड़ी हुई है। संदीप वंगा रेड्डी से शिफ्ट में काम करने की बात कह कर दीपिका पादुकोण बॉलीवुड को पहले इस लपेटे में ले चुकी हैं। अब ये ताजा मामला बेंगलुरु का है, जिसमें एक सिनेमा हॉल में लैपटॉप ऑन कर और हेडफोन लगाकर बैठी महिला की फोटो वायरल हो रही है।

हाल में ये महिला बेंगलुरु के सिनेमा हॉल में कन्नड, मलयालम सहित कई दक्षिण भारतीय फिल्म ‘लोका चैप्टर1’ देखने गई थी। रेडिट यूजर की इस पोस्ट से पता चलता है कि इस दौरान ये अपना लैपटॉप ऑन कर के बैठी हुई थी। उसने हेडफोन भी पहना हुआ था। यह पोस्ट रेडिट पर इस कैप्शन के साथ पोस्ट की गई : "ब्लोर का वर्क कल्चर बहुत ही खराब है!" इसके साथ ही बेंगलुरु की कॉर्पोरेट गतिविधियों पर गरमागरम बहस छेड़ दी।

Woman working on Laptop in Theater! Blore work culture is wild! byu/Sea_Solution5627 inbangalore


यूजर आईडी r/Bangalore से पोस्ट एक रेडिटर ने बताया कि फिल्म ‘लोका’ की स्क्रीनिंग के दौरान, ‘आगे की लाइन में बैठी एक महिला ने अपना लैपटॉप खोला और ऐसे काम करने लगी जैसे वह किसी थिएटर में नहीं ऑफिस में हो। सच कहूं तो ये काम की अस्तव्यस्त संस्कृति के बारे में बहुत कुछ कहता है। लोग ऑफिस के दबाव के बिना दो घंटे भी सुकून से नहीं रह सकते। वर्क-लाइफ बैलेंस? यह क्या है?'

पीछे की सीट से ली गई इस तस्वीर में उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा है। लेकिन इस पोस्ट पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं। कोई बेंगलुरु के खतरनाक वर्क कल्चर पर अपनी भड़ास निकाल रहा है। तो किसी ने पूरे कॉर्पोरेट कल्चर को ही निशाना बनाया है। इस पोस्ट में कुछ लोगों ने महिला के काम के प्रति समर्पण की तारीफ भी की है। इतना ही नहीं कुछ लोगों का कहना है, ‘अभी फिल्म शुरू होने में समय है। तब तक काम खत्म हो जाएगा।’

कुछ लोग महिला की इस हरकत से चिढ़ भी गए, क्योंकि लैपटॉप की रोशनी उनकी सुकून से फिल्म देने की चाहत में खलल डाल रही थी। इस यूजर ने लिखा, ‘मैं अपना पैसा खर्च करके इतनी दूर इसलिए तो आया हूं कि ये मोहतरमा काम करेंगी और इनके लैपटॉप की रोशनी मेरी आंखें पर पड़ रही होगी।’ एक अन्य ने कहा, ‘नारायण मूर्ति इसे कंपनी की नई सुझाई गई पॉलिसी के तौर पर रीपोस्ट कर सकते हैं।’

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