गुजरात के कच्छ तट पर सांपों का एक जीवाश्म मिला है। जिसे देखते ही वैज्ञानिकों के भी होश उड़ गए हैं। ये जीवाश्म वासुकी नाग (Vasuki Snake) के हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा नाग था। इससे बड़ा एनाकोंडा भी नहीं है। वासुकी नाग का जीवाश्म कच्छ के पानंधरो लाइटनाइट खदान में मिला है। इसकी लंबाई 49 फीट और वजन करीब 100 किलोग्राम है। माना जा रहा है कि यह भगवान शिव के गले का हार वासुकी नाग है। भगवान शिव के गले में जो नागराज लिपटे दिखते हैं। वो नागवासुकी हैं। ये नागवासुकी नागवंश के जो 8 मुख्य कुल, यानी वंश माने गए हैं। जिनके वे राजा हुआ करते थे।
आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने इस खोज को 20 साल तक स्टडी की। इसके बाद दुनिया के सामने यह आया है। यह खोज न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित वासुकी नाग से भी जुड़ी हुई है। वासुकी नाम शिवजी के गले में लिपटे हुए नागराज से लिया गया है। इंडिकस शब्द का मतलब भारत है।
साल 2005 में गुजरात के कच्छ तट पर पानंधरो लाइटनाइट खदान में 27 कशेरुकाओं (रीढ़ की हड्डियों) का जीवाश्म मिला था। शुरुआत में इसे मगरमच्छ का अवशेष माना गया, लेकिन गहन अध्ययन से पता चला कि यह वासुकी इंडिकस नामक विशाल सांप था। यह खोज अब पुरातत्वविदों और पौराणिक कथा प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है। यह वही सांप है, जिसका जिक्र समुद्र मंथन में किया गया है। इसी की मदद से मंदार पर्वत को मथनी की तरह घुमाया गया था। जिससे समुद्र से अमृत और विष जैसे कई महत्वपूर्ण चीजें निकली थीं। इसका वैज्ञानिक नाम Vasuki Indicus है। आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं का दावा है कि ये अब विलुप्त हो चुका नाग दुनिया के सबसे लंबे नागों में से एक रहा होगा।
टाइटनोबोआ से बड़ा है वासुकी
अब तक सबसे बड़ा सांप टाइटनोबोआ को माना गया है इसकी लंबाई 42 फीट मानी जाती थी। लेकिन वासुकी इंडिकस की अनुमानित लंबाई 49 फीट है, जो इसे संभावित रूप से दुनिया का सबसे लंबा सांप है। इसका शरीर बेलनाकार है।