Sehra Wedding Rituals: शादी में इसलिए बांधा जाता है दूल्हे के सिर पर सेहरा, जानिए परंपरा से जुड़ी ये धार्मिक वजह

Sehra Wedding Rituals: शादी में सिर्फ दूल्हन ही घूंघट में नहीं होती है, दूल्हे का चेहरा भी सेहरे से ढका होता है। ये सिर्फ एक लोक परंपरा नहीं है, इसका धार्मिक कारण भी है। हिंदू धर्म में दूल्हे को सेहरा पहनाने का वर्णन पौराणिक शास्त्रों में भी मिलता है। आइए जानें इस परंपरा से जुड़े धार्मिक कारण के बारे में

अपडेटेड Nov 20, 2025 पर 11:04 AM
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आदिशक्ति मां पार्वति से विवाह के समय स्वयं देवाधिदेव महादेव ने सिर पर सांपों से बना मुकुट पहना था।

Sehra Wedding Rituals: शादी में दुल्हन का चेहरा घूंघट से ढक दिया जाता है। कहते हैं परंपरा है शादी के बाद ही दुल्हन का चेहरा कोई देखेगा। लेकिन ये परंपरा सिर्फ दुल्हनों के लिए नहीं होती है। ये शादी के लिए जाने वाले दूल्हों को भी इससे गुजरना होता है। दूल्हे की सेहराबंदी की रस्म की जाती है। खास बात ये है कि हमारे देश में लगभग सभी धर्म और समाज में इस तरह की परंपरा निभाई जाती हैं। लेकिन ये सिर्फ एक लोक परंपरा या सदियों से चला आ रहा दकिनूसी रिवाज नहीं है। न ही ये कोई सजावट या फैशन की चीज है। सेहरा बांधने के पीछे धार्मिक कारण भी है, जिसका उल्लख हमारे पौराणिक शास्त्रों में भी मिलता है। आइए जानें

भारतीय शादियों में सेहरा एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसके बारे में हमारे कवियों, गीतकारों और शास्त्रों में भी बताया गया है। बॉलीवुड फिल्मों में दुल्हन के घूंघट पर लिखने वालों से दूल्हे के सेहरे पर भी गाने लिखे हैं। यहां तक कि लोकगीतों में भी दूल्हे के सहरे की लड़ियों पर गीत गाए जाते हैं। भारत में सेहरा बांधने की परंपरा सदियों से निभाई जा रही है।

विवाह के दिन शादे के लिए जाने से पहले दूल्हे को तैयार किया जाता है। तैयार करते समय दूल्हे को सेहरा बांधा जाता है। सेहरा आमतौर पर फूल, मोती, कुंदन, चमकीली व रेशमी धागे या कई बार तो सोने-चांदी की कलाकारी से बनता है। पगड़ी या सेहरे से दूल्हे का चेहरा ढका जाता है। सेहरे को आम बोलचाल की भाषा में मुकुट, विवाह मुकुट, किरीट और मउर भी कहा जाता है।

बुरी नजर से बचाने के लिए बांधते हैं सेहरा

इस रस्म के पीछे मान्यता ये है कि दूल्हे का चेहरा विवाह तक किसी को नहीं दिखना चाहिए ताकि उन पर किसी नकारात्मक ऊर्जा या बुरी नजर न पड़े। कुछ जगहों पर ये भी माना जाता है विवाह की रस्में पूरी होने तक दूल्हे और दुल्हन को एक-दूसरे का चेहरा देखना अपशकुन होता है।

शास्त्रों में भी है वर्णन


शास्त्रों में विवाह मुकुट या सेहरे को पंचदेव से सुशोभित नर का श्रृंगार कहा गया है। यही कारण है कि विवाह के समय आम लोग भी मुकुट या सेहरा पहनते हैं। शिव विवाह के प्रसंग में भगवान शिव द्वारा जटाओं का मुकुट और सांपों से मौर को सजाने का वर्णन मिलता है। ‘जटा मुकुट अहि मउर संवारा’ चौपाई के माध्यम से ये बताया गया है कि भगवान शिव के गण उनकी जटाओं का मुकुट बना रहे हैं और उन्हें सांपों के मौर से सजाया जा रहा है। इससे पता चलता है कि आदिशक्ति मां पार्वति से विवाह के समय स्वयं देवाधिदेव महादेव ने सिर पर सांपों से बना मुकुट पहना था। इसलिए दूल्हे का चेहरा सेहरे से ढकने की परंपरा आदि काल से चली आ रही है।

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