हिमालय के नीचे छिपा है भूकंप का 'टाइम बम', डेंजर जोन में भारत के करोड़ों लोग... इन राज्यों पर सबसे ज्यादा खतरा
Great Himalayan Earthquake : 28 मार्च को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। इस विनाशकारी भूकंप में करीब तीन हजार लोगों की जान चली गई, जबकि पांच हजार से अधिक लोग घायल हुए। इस भूंकप का प्रभाव सिर्फ म्यांमार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पड़ोसी देश थाईलैंड में भी 17 लोगों की मौत हुई
वैज्ञानिक पिछले कई सालों से हिमालय के नीचे छिपे एक बड़े खतरे को लेकर लोगों को आगाह कर रहे हैं।
Great Himalayan Earthquake : क्या होगा जब आप आधी रात को गहरी नींद में सो रहे हों और रात के सन्नाटे में अचानक जमीन फट जाए, किसी को भागने का मौका भी ना मिले। और कुछ ही पल में सब कुछ तहस-नहस हो जाए...एक ऐसा विनाशकारी भूकंप जिसकी कल्पना मात्र से ही रूह कांप जाती हो। दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली भूकंप शायद ऐसे ही आएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह भूकंप कब और कहां आएगा। तो आइए इस डराने वाले सवाल का जवाब आपको देते हैं।
हिमालय के नीचे छिपा है भूकंप का 'टाइम बम'
वैज्ञानिक पिछले कई सालों से हिमालय के नीचे छिपे एक बड़े खतरे को लेकर लोगों को आगाह कर रहे हैं। यह खतरा एक भीषण भूकंप के रूप में सामने आ सकता है और ये भूकंप उत्तर भारत में भारी तबाही मचा सकता है। वैज्ञानिक इस संभावित आपदा को "ग्रेट हिमालयन earthquake का नाम देते हैं। अनुमान है कि इसकी तीव्रता 8 या उससे अधिक हो सकती है। और यह कोई संभावना नहीं, बल्कि माना जाता है कि ऐसा होकर ही रहेगा।
हाल ही में म्यांमार में आए भूकंप से निकली ऊर्जा 300 से अधिक परमाणु बमों के बराबर थी। भूकंप के कारण कई ब्रिज ढह गए, कई बड़ी इमारतें ढह गईं और कई परिवार जिंदा दफन हो गए।
भू वैज्ञानिक ने दी ये चेतावनी
अमेरिकी भू वैज्ञानिक रोजर बिलहम ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया, “भारत हर सदी में तिब्बत की ओर करीब 2 मीटर खिसकता है। लेकिन दुर्भाग्य से, इसका उत्तरी किनारा आसानी से नहीं खिसकता बल्कि घर्षण के कारण सैकड़ों वर्षों तक वहीं अटका रहता है। जब यह घर्षण अचानक टूटता है तो कुछ ही मिनटों में ज़मीन बड़ी मात्रा में खिसकती है, जिसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं।”
इतिहास बताता है कि इस तरह के भयानक भूकंप हर कुछ सौ सालों में आते रहे हैं, लेकिन अब पिछले 70 सालों से हिमालयी क्षेत्र में कोई ऐसा बड़ा भूकंप नहीं आया है जो धरती के भीतर बढ़ते दबाव को कम कर सके। रोजर बिलहम के अनुसार, "यह केवल एक संभावना नहीं है, बल्कि यह निश्चित रूप से होगा।" यह संभावित भूकंप उन लाखों लोगों के लिए गंभीर खतरा है जो भूकंपीय फॉल्ट लाइनों के पास या ऊपर रहते हैं, जिसमें भारत का हिमालयी क्षेत्र भी शामिल है।
म्यांमार का भूकंप बड़े खतरे का संकेत?
28 मार्च को म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। इस विनाशकारी भूकंप में करीब तीन हजार लोगों की जान चली गई, जबकि पांच हजार से अधिक लोग घायल हुए। इस भूंकप का प्रभाव सिर्फ म्यांमार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पड़ोसी देश थाईलैंड में भी 17 लोगों की मौत हुई।
यह भूकंप स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट के कारण आया, जिसमें ज़मीन के दो हिस्से क्षैतिज दिशा में एक-दूसरे के पास से खिसकते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस भूकंप ने इतनी ऊर्जा छोड़ी जो करीब 300 परमाणु बमों के बराबर थी। इस तबाही में कई पुल गिर गए, इमारतें ध्वस्त हो गईं और कई परिवार मलबे में दबकर अपनी जान गंवा बैठे। भूंकप के बाद आए तीस्वीरों ने तो पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया।
भारत पर भी खतरा!
अब सवाल यह उठता है कि क्या म्यांमार में आया यह भूकंप हिमालय में छिपे संभावित खतरे का संकेत है? वैज्ञानिक मानते हैं कि क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच लगातार तनाव बढ़ रहा है। भले ही यह भूकंप सीधे हिमालयी फॉल्ट से जुड़ा न हो, लेकिन यह जरूर दिखाता है कि इस भू-भाग में बड़ी भूकंपीय गतिविधियां हो रही हैं, जो भविष्य में और गंभीर हो सकती हैं।
हाल ही में म्यांमार में आए भयानक भूकंप के बाद यह ज़रूरी है कि भारत इस चेतावनी को गंभीरता से ले। वैज्ञानिक आंकड़ों के अनुसार, भारत का लगभग 59% हिस्सा भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है। खासकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पूरा पूर्वोत्तर भारत ऐसे क्षेत्रों में आते हैं जहां भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।
देश की राजधानी दिल्ली, कोलकाता और मुंबई जैसे बड़े शहर भी खतरनाक फॉल्ट लाइनों के ऊपर बसे हुए हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र में चौथे जोन में आता है और यह दिल्ली-हरिद्वार रिज पर स्थित है। हाल ही में दिल्ली के धौला कुआं इलाके में आए 4.0 तीव्रता के भूकंप ने राजधानी को हिला दिया था। 26 जनवरी 2001 को गुजरात के भुज में 8.1 तीव्रता का भूकंप आया था। लेकिन उसका असर 310 किलोमीटर दूर अहमदाबाद की ऊंची इमारतों पर भी देखने को मिला था। इस भूकंप में काफी नुकसान हुआ था। दिल्ली तो हिमालय के टकराव क्षेत्र से 280 से 350 किलोमीटर की दूरी पर ही है। यानी हिमालय पर 7 या 8 तीव्रता का भूकंप आता तो दिल्ली-NCR इलाके में भारी तबाही होने की आशंका है।
नेपाल से भी बड़ा झटका संभव
2015 में नेपाल में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप ने पूरे क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी, लेकिन भू वैज्ञानिकों की मानें तो आने वाला भूकंप इससे भी ज्यादा विनाशकारी हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 2,000 किलोमीटर लंबे हिमालय क्षेत्र का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा एक 8.2 तीव्रता के भूकंप के लिए तैयार बैठा है, जो नेपाल की आपदा से तीन गुना ज्यादा ऊर्जा छोड़ सकता है।
कुछ हिस्सों में तो 8.7 तीव्रता तक के भूकंप आने की आशंका जताई गई है, जो 2015 के भूकंप से आठ गुना अधिक ताकतवर होगा। हालांकि 9 तीव्रता वाले भूकंप की संभावना बहुत कम है, लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसा भूकंप करीब 800-900 साल पहले भारत में आ चुका है।
अब क्या जरूरी है?
इस सबके बीच सबसे अहम सवाल यह है कि क्या भारत ऐसे बड़े भूकंपों से निपटने के लिए तैयार है? हमें सतर्कता, भूकंपरोधी निर्माण, इमरजेंसी योजनाओं और जन जागरूकता के स्तर पर तुरंत काम करने की जरूरत है। क्योंकि जब प्रकृति कहर बरपाती है, तो तैयारी ही सबसे बड़ा हथियार बनती है।