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क्या आप जानते हैं? इंसान की आत्मा का असली वजन क्या है

21-Gram Soul Experiment: क्या आत्मा का सच में कोई वजन होता है? यह सवाल सदियों से लोगों को हैरान करता आया है। धर्म कहता है आत्मा अमर है, विज्ञान कहता है इसका कोई सबूत नहीं। लेकिन 1907 में एक प्रयोग ने दुनिया को चौंका दिया और आत्मा पर नई बहस छेड़ दी

अपडेटेड Sep 13, 2025 पर 3:42 PM
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21-Gram Soul Experiment: 1907 में अमेरिका के डॉ. डंकन मैकडॉगल ने आत्मा का वजन मापने की ठानी।

क्या इंसान की आत्मा का कोई वजन होता है? यह सवाल सुनते ही हर किसी के मन में जिज्ञासा जाग जाती है। आत्मा को लेकर धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं कहती हैं कि यह अमर है, शरीर के मरने के बाद भी इसका अस्तित्व बना रहता है। लेकिन विज्ञान हमेशा से इस बात को लेकर संशय में रहा है। फिर भी, 1907 में एक अमेरिकी डॉक्टर ने ऐसा अनोखा प्रयोग किया जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। उनके इस प्रयोग के बाद यह चर्चा शुरू हो गई कि इंसान की आत्मा का वजन सिर्फ 21 ग्राम होता है। यही वजह है कि आज भी “21 ग्राम आत्मा का वजन” सुनते ही लोगों की दिलचस्पी बढ़ जाती है और ये विषय फिल्में, किताबें और कहानियों तक में बार-बार सामने आता है।

मिस्र से शुरू हुई आत्मा की कहानी

प्राचीन मिस्र में ये माना जाता था कि इंसान की आत्मा मौत के बाद एक लंबी यात्रा पर निकलती है। वहां ‘हॉल ऑफ डबल ट्रुथ’ में आत्मा के कर्मों का न्याय होता था। देवी इंसान के दिल का वजन पंख से तौलती थीं हल्का होने पर आत्मा स्वर्ग में जाती थी। यानी दिल का वजन पवित्रता का प्रतीक था। यही विचार कहीं न कहीं आत्मा के वजन से जुड़ी आधुनिक मान्यताओं को जन्म देता है।


डॉ. डंकन का चौंकाने वाला प्रयोग

1907 में अमेरिका के डॉ. डंकन मैकडॉगल ने आत्मा का वजन मापने की ठानी। उन्होंने अस्पताल में खास तराजू लगाया और 6 ऐसे मरीजों को उस पर लिटाया जिनकी मौत निकट थी। जैसे ही किसी मरीज की मृत्यु होती, वजन नोट किया जाता। नतीजा चौंकाने वाला था एक मरीज का वजन अचानक लगभग 21 ग्राम कम हो गया। डॉ. डंकन ने इसे आत्मा का वजन बताया।

कुत्तों पर प्रयोग और विवाद

डॉ. डंकन ने ये प्रयोग 15 कुत्तों पर भी किया। हैरानी की बात ये रही कि कुत्तों के वजन में कोई बदलाव नहीं आया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि जानवरों में आत्मा नहीं होती। हालांकि धार्मिक मान्यताएं कहती हैं कि हर जीव में आत्मा होती है। वैज्ञानिकों ने इस रिसर्च को खारिज कर दिया क्योंकि ये छोटे सैंपल पर आधारित थी और उपकरण पूरी तरह सटीक नहीं थे।

आज भी बना है रहस्य

भले ही डॉ. डंकन का प्रयोग विज्ञान की कसौटी पर सही साबित न हो पाया हो, लेकिन इसने आत्मा के वजन को लेकर बहस हमेशा के लिए जिंदा कर दी। “21 ग्राम” आज भी लोकप्रिय संस्कृति में आत्मा का वजन माना जाता है और फिल्मों, किताबों और कहानियों में इसका जिक्र होता रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आत्मा अजर-अमर है और उसका आकार इतना सूक्ष्म है कि उसे मापना असंभव है।

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