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वीजा फीस बढ़ोतरी के बाद ट्रंप प्रशासन ने H-1B लॉटरी सिस्टम को खत्म करने का रखा प्रस्ताव, नए नियम किए जारी

प्रस्ताव के अनुसार, ये सिलेक्शन सैलरी लेवल के आधार पर होगा। सबसे ज्यादा सैलरी लेवल पर काम करने वाले कर्मचारियों को चार एंट्री मिलेंगी, जिससे उनके सिलेक्शन की संभावना बढ़ जाएगी। निचले लेवल के कर्मचारियों को केवल एक एंट्री मिलेगी। निकोल गुनारा, प्रिंसिपल इमीग्रेशन अटॉर्नी, मैनिफेस्ट लॉ ने कहा कि नया प्रस्ताव यह तय कर सकता है कि वैश्विक प्रतिभा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कैसे समा सकती है।

अपडेटेड Sep 24, 2025 पर 3:02 PM
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वीजा फीस बढ़ोतरी के बाद ट्रंप प्रशासन ने H-1B लॉटरी सिस्टम को खत्म करने का रखा प्रस्ताव

अमेरिका ने H-1B वीजा प्रोग्राम में और बदलाव करने की योजना बनाई है, कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फीस में भारी इजाफा कर इसे 100,000 डॉलर कर दिया था। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग मौजूदा लॉटरी सिस्टम को छोड़कर एक वेटेड सिलेक्शन प्रोसेस अपनाने की योजना बना रहा है। DHS ने कहा, "इसका मकसद हाई स्किल और ज्यादा पेमेंट वाले विदेशी कामगारों के लिए H-1B वीजा सुनिश्चित करना है। साथ ही सभी सैलरी लेवल पर नियोक्ताओं को H-1B कामगारों को सुरक्षित करने का मौका देना है।"

प्रस्ताव के अनुसार, ये सिलेक्शन सैलरी लेवल के आधार पर होगा। सबसे ज्यादा सैलरी लेवल पर काम करने वाले कर्मचारियों को चार एंट्री मिलेंगी, जिससे उनके सिलेक्शन की संभावना बढ़ जाएगी। निचले लेवल के कर्मचारियों को केवल एक एंट्री मिलेगी।

निकोल गुनारा, प्रिंसिपल इमीग्रेशन अटॉर्नी, मैनिफेस्ट लॉ ने कहा कि नया प्रस्ताव यह तय कर सकता है कि वैश्विक प्रतिभा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कैसे समा सकती है।


गुनारा ने कहा, "इससे, एक इंजीनियर जिसे Meta में 150,000 डॉलर सैलरी ऑफर की गई है, उसको कई लॉटरी एंट्री मिल सकती हैं, जबकि एक जूनियर डेवलपर जिसे किसी स्टार्टअप में 70,000 डॉलर मिलते हैं, उसे केवल एक एंट्री मिल सकती है। यह सिस्टम उन प्रतिष्ठित कंपनियों की ओर झुकेगा जो टॉप मार्केट रेट पर सैलरी दे सकती हैं और उन उभरती कंपनियों से दूर, जो युवा अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा पर निर्भर करती हैं।"

इसके अलावा, यह नियम ज्यादा पेमेंट वाले सीनियर टेक कर्मचारियों के प्रति शिफ्ट को बढ़ावा दे सकता है और यह तय कर सकता है कि देश वैश्विक स्तर पर स्किल के लिए कैसे प्रतिस्पर्धा करता है।

उन्होंने समझाया, "अगर यह नियम लागू होता है, तो H-1B लॉटरी अब पूरी तरह से रैंडम नहीं होगी। इसके बजाय, हर एक आवेदक की संभावनाएं उसके सैलरी लेवल के आधार पर तय होंगी। ज्यादा सैलरी लेवल के उम्मीदवार को लॉटरी में कई एंट्री मिल सकती हैं, जबकि एक एंट्री लेवल के सैलरी वाले को केवल एक एंट्री मिलेगी। इसका मतलब है कि ज्यादा सैलरी वाले, सीनियर पॉजिशन के चयन की संभावना काफी बेहतर होगी, जबकि हाल ही में ग्रेजुएट हुए और शुरुआती करियर के कामगारों को ज्यादा कड़े मुकाबले से गुजरना होगा।"

पिछले हफ्ते, ट्रंप ने हर एक नए आवेदन के लिए $100,000 की फीस की घोषणा करते हुए एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस वीजा ने कंपनियों को लॉटरी सिस्टम के जरिए अमेरिका में टेक और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में स्किल वाले विदेशी कामगारों को भर्ती करने का एक जरिया दिया।

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रॉजर्स ने साफ किया, "राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी कामगारों को पहले रखने का वादा किया था, और यह सामान्य समझ का कदम कंपनियों को सिस्टम का दुरुपयोग करने और सैलरी कम करने से रोकता है। यह उन अमेरिकी व्यवसायों को निश्चितता भी देता है, जो वास्तव में हाई स्किल कामगारों को हमारे महान देश में लाना चाहते हैं, लेकिन सिस्टम के दुरुपयोग से प्रभावित हुए हैं"।

घोषणा पर हस्ताक्षर करते समय, ट्रंप ने कहा कि "प्रोत्साहन अमेरिकी कामगारों को भर्ती करने का है।"

यूएस सिटिजनशिप और इमीग्रेशन सर्विसेज के आंकड़ों के अनुसार, सभी अप्रूव हुए H-1B आवेदन में से 71 प्रतिशत भारतीयों के हैं।

व्हाइट हाउस स्टाफ सचिव विल शार्फ ने कहा था कि H-1B गैर-आप्रवासी वीजा कार्यक्रम वर्तमान में अमेरिका में "सबसे ज्यादा दुरुपयोग किए जाने वाले वीजा" सिस्टम में से एक है।

भारतीय IT दिग्गज जैसे TCS, इंफोसिस और विप्रो H-1B वीजा पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं और नई फीस कंपनियों को अरबों का खर्च करा सकती है। इसका सीधा नतीजा कम भर्ती या नौकरियां वापस भारत शिफ्ट करना हो सकता है।

यह विदेश मामलों के मंत्री एस जयशंकर और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा के बीच हो रहा है, जो सोमवार को न्यूयॉर्क में ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों से मिलने के लिए गए थे।

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