Credit Cards

आसिम मुनीर खेल रहा बहुत बड़ा जुआ! अमेरिका को दिया पसनी पोर्ट का 1.2 अरब डॉलर का ऑफर, दांव पर लगाया पाकिस्तान चीन संबंध

कागज पर देखा जाए तो यह कदम अमेरिका को फिर से पाकिस्तान के प्रभाव क्षेत्र में खींचने और बीजिंग पर बढ़ती निर्भरता को संतुलित करने की एक साहसिक रणनीति लगती है। लेकिन हकीकत में यह कमजोर शासन का एक हताश जुआ है, जो चीन को नाराज करने का खतरा उठाता है, पाकिस्तान की लगातार बनी अस्थिरता को नजरअंदाज करता है

अपडेटेड Oct 06, 2025 पर 8:40 PM
Story continues below Advertisement
आसिम मुनीर खेल रहा बहुत बड़ा जुआ! अमेरिका को दिया पसनी पोर्ट का 1.2 अरब डॉलर का ऑफर

पाकिस्तान की सेना एक बार फिर अपनी हद पार करने की कोशिश कर रही है। फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अमेरिका को 1.2 अरब डॉलर का एक बड़ा ऑफर दिया है, जिसके तहत पसनी में डीप-वॉटर पोर्ट और रेलवे लिंक बनाया जाएगा, जो पाकिस्तान के खनिज-समृद्ध इलाकों तक जाएगा। यह जानकारी Financial Times की एक रिपोर्ट में दी गई है। इस प्रस्ताव के पीछे पाकिस्तान की मंशा है कि अमेरिकी निवेशकों को “क्रिटिकल मिनरल्स” तक पहुंच का लालच दिया जाए, जबकि साथ ही पसनी पोर्ट को चीन के ग्वादर पोर्ट का विकल्प के रूप में पेश किया जा सके, यानी एक जियोपॉलिटिकल बैलेंसिंग एक्ट।

कागज पर देखा जाए तो यह कदम अमेरिका को फिर से पाकिस्तान के प्रभाव क्षेत्र में खींचने और बीजिंग पर बढ़ती निर्भरता को संतुलित करने की एक साहसिक रणनीति लगती है। लेकिन हकीकत में यह कमजोर शासन का एक हताश जुआ है, जो चीन को नाराज करने का खतरा उठाता है, पाकिस्तान की लगातार बनी अस्थिरता को नजरअंदाज करता है, और दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच “दोहरी चाल” खेलने की इस्लामाबाद की पुरानी आदत को फिर उजागर करता है।

आसिम मुनीर की अमेरिका को लुभाने की रणनीति


फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अपनी सेना और सलाहकार टीम के जरिए अमेरिकी अधिकारियों को तीन बड़े मकसद के साथ प्रस्ताव पेश किया, जो सितंबर में व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप से उनकी मुलाकात से पहले साझा किया गया।

खनिज मार्ग के रूप में पासनी: प्रस्ताव का पहला मकसद अमेरिका को यह दिखाना है कि पासनी पोर्ट खासतौर से तांबा और एंटिमनी जैसी महत्त्वपूर्ण खनिज संपत्तियों तक गेटवे हो सकता है। ये खनिज तब और महत्वपूर्ण हो गए जब चीन ने अमेरिका को इनके निर्यात पर रोक लगा दी।

ग्वादर का विकल्प: प्रोजेक्ट को ग्वादर पोर्ट के मुकाबले एक बैलेंस के रूप में पेश किया जा रहा है। अमेरिका को डर है कि चीन ग्वादर पर नौसैनिक अड्डा स्थापित कर सकता है।

केंद्रीय एशियाई व्यापार से जोड़ना: अमेरिकी समर्थन वाला रेलवे लिंक पाकिस्तान को केंद्रीय एशिया के बड़े ट्रेड रूट से जोड़ देगा, जिससे इस्लामाबाद को रीजनल कनेक्टिविटी पर राजनयिक लाभ मिलेगा।

एक अहम जानकारी यह है कि मुनीर ने साफ किया है कि पासनी में अमेरिकी फोर्स के लिए “डायरेक्ट बेसिंग” शामिल नहीं होगा। यह संदेश चीन को यह भरोसा दिलाने का तरीका है कि पासनी सैन्य अड्डा नहीं बनेगा, फिर भी अमेरिका को आर्थिक और रणनीतिक पहुंच दी जाएगी।

एक सलाहकार ने Financial Times से कहा, “हमें चीन से सलाह लेने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह ग्वादर कंसेशन के बाहर है।” यह बयान पाकिस्तान की अवसरवादी वाली रणनीति का खुलासा करता है।

इस ऑफर में एक बड़ा खतरा!

मुनीर की यह चाल बिना जोखिम के नहीं है। पाकिस्तान चीन का बड़ा कर्जदार है, जिसने CPEC परियोजना में अरबों डॉलर निवेश किए हैं। ग्वादर से सिर्फ 70 मील दूर अमेरिका के लिए एक और ऐसे ही पोर्ट का प्रस्ताव बीजिंग को नाराज कर सकता है, जो ग्वादर को अपनी बेल्ट एंड रोड पहल का अहम हिस्सा मानता है।

चीन ने पाकिस्तान की आधारभूत संरचना और महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों को पहले ही समर्थन दिया है, जिनका इस्तेमाल भारत के साथ झड़पों में हुआ। पाकिस्तान अपने सबसे भरोसेमंद संरक्षक को खोने का जोखिम नहीं उठा सकता।

इसके अलावा, पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड कमजोर है। खनिज क्षेत्र का GDP में योगदान केवल 3% है, और बलूचिस्तान व खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोह और अस्थिरता इसे और प्रभावित करते हैं।

अमेरिका को खनिज पहुंचाने का पाकिस्तान का वादा स्थानीय असुरक्षा के कारण अधूरा रह जाता है। हाल ही में मिसौरी में US Strategic Metals को भेजा गया सिर्फ दो टन से भी कम तांबा, एंटिमनी और नियोडिमियम इसका उदाहरण है।

बड़ा खेल

मुनीर का यह जुआ भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की असुरक्षा को भी दर्शाता है। पाकिस्तान चाहता है कि बेलूचिस्तान में अमेरिका की मौजूदगी भारतीय हमलों को रोकने का काम करे। लेकिन अमेरिका इस चाल को आसानी से समझ जाएगा।

जैसे मुईद पिरजादा ने ट्विटर पर मजाक में कहा, मुनीर अब OLX पर पोर्ट और खनिज बेचने वाला विक्रेता लग रहा है, जो किसी को भी पाकिस्तान के पुराने वादों में विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहा है।

आखिरकार यह पाकिस्तान का खतरनाक बैलेंस है या दूसरे शब्दों में कहें, तो वो दो नाव में सवार हो रहा है और इसका अंजाम हर कोई जानता है। अमेरिका और चीन को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश करते हुए, पाकिस्तान दोनों से अपने संबंध बिगाड़ने का जोखिम उठा रहा है। यह “रिसेट” रणनीति नहीं, बल्कि हताशा की डिप्लोमेसी है।

नई दिल्ली के लिए क्या खतरा?

भारत के लिए पासनी का प्रस्ताव सिर्फ दो-तरफ़ा अमेरिकी-पाकिस्तान मामला नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय रणनीति पर असर डाल सकता है। अगर अमेरिका इसे मानता भी है, तो बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खनिज मार्ग को आंशिक वैधता मिल सकती है।

सबसे अहम बात, पासनी भारत के पश्चिमी तट से लगभग 400 Km की दूरी पर है, जिससे यह “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” रणनीति में एक और नोड बन सकता है। ग्वादर लंबे समय से भारत की निगरानी में है, लेकिन अमेरिकी समर्थित पासनी पोर्ट समुद्री रणनीति को और जटिल बना सकता है। यह केवल पाकिस्तान का हेजिंग नहीं है; बल्कि न्यू दिल्ली को तैयार रहना चाहिए कि अमेरिकी अवसरवाद भारत की दीर्घकालीन सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।