Pahalgam Terror Attack: भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत! UNSC की प्रमुख रिपोर्ट में पहली बार TRF का जिक्र

Pahalgam Terror Attack: युक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंध निगरानी दल ने कहा है कि द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने पहलगाम आतंकवादी हमले की दो बार जिम्मेदारी ली थी। उसने घटनास्थल की एक तस्वीर भी जारी की थी। रिपोर्ट में यह भी कहा कि यह हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के समर्थन के बिना संभव नहीं था

अपडेटेड Jul 30, 2025 पर 2:19 PM
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Pahalgam Terror Attack: पहलगाम आतंकी हमले में 26 नागरिकों की हत्या कर दी गई थी

Pahalgam Terror Attack: जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को अंजाम देने वाले द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट की संलिप्तता का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंध निगरानी दल ने कहा है कि TRF ने पहलगाम आतंकवादी हमले की दो बार जिम्मेदारी ली थी। उसने घटनास्थल की एक तस्वीर भी जारी की थी।

संयुक्त राष्ट्र दल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि यह हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के समर्थन के बिना संभव नहीं था। इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा और उनसे जुड़े व्यक्तियों एवं संगठनों पर समर्थन और प्रतिबंध निगरानी दल की मंगलवार को 36वीं रिपोर्ट में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का उल्लेख किया गया है।

पहलगाम हमले के बाद 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कर कहा था कि ऐसे घृणित आतंकवादी कृत्य के जिम्मेदार अपराधियों, षडयंत्रकर्ताओं, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाना जरूरी है। हालांकि, पाकिस्तान के दबाव में उस बयान में टीआरएफ का नाम शामिल नहीं किया गया था।


पाकिस्तान की चाल फेल

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को संसद में कहा कि सुरक्षा परिषद में बयान पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान ने टीआरएफ के नाम का किसी भी प्रकार का उल्लेख हटवाने की कोशिश की थी। अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट में पहलगाम हमले में भूमिका के लिए टीआरएफ का उल्लेख किया गया है। इससे पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्थिति मजबूत होने की उम्मीद है।

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के सभी निर्णय संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान नेशनल असेंबली में पहलगाम हमले की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस को दिए बयान में टीआरएफ का उल्लेख हटाने के लिए दबाव डालने का दावा किया था।

नाम न उजागर करने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में टीआरएफ का ज़िक्र इस बात का संकेत है कि दुनिया पाकिस्तान के झूठ और फर्जी बयान को किस तरह देखती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहलगाम हमले को पांच आतंकवादियों ने अंजाम दिया था।

क्या है रिपोर्ट में?

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है, "टीआरएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी उसी दिन ली और साथ ही घटनास्थल की एक तस्वीर भी जारी की थी।" यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 आईएसआईएल (दाएश) और अल-कायदा प्रतिबंध समिति को सौंपी गई है। इसमें कहा गया है कि टीआरएफ ने अगले दिन भी दोबारा इस हमले की जिम्मेदारी ली लेकिन 26 अप्रैल को टीआरएफ ने अपने दावे को वापस ले लिया। इसके बाद टीआरएफ की ओर से कोई और बयान नहीं आया। और न ही किसी अन्य समूह ने जिम्मेदारी ली।

रिपोर्ट में एक सदस्य देश के हवाले से कहा गया है, "यह हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना संभव नहीं था। टीआरएफ तथा लश्कर के बीच संबंध हैं। एक अन्य सदस्य देश ने कहा कि हमला टीआरएफ ने किया था जो लश्कर का ही दूसरा नाम है।" हालांकि, एक अन्य सदस्य देश ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि लश्कर-ए-तैयबा अब निष्क्रिय हो चुका है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि क्षेत्रीय संबंध अब भी नाजुक हैं। यह आशंका है कि आतंकवादी संगठन इन क्षेत्रीय तनावों का फायदा उठा सकते हैं। अमेरिका ने इस महीने टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया।

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भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया था। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट-खुरासान अब भी मध्य और दक्षिण एशिया तथा वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Jul 30, 2025 2:15 PM

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