हथियारों की बिक्री के मामले में चीन ने लंबी छलांग लगाई है और सेंट्रल एशिया में रुस को पछाड़कर सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बन गया है। सोवियत संघ के विघटन के बाद अधिकतर समय इस मार्केट में रुस का दबदबा था, खासतौर से कजाकस्तान, ताजिकिस्तान और उजेबिस्तान को हथियारों की बिक्री को लेकर। हालांकि यूक्रेन से लड़ाई के चलते रुस से हथियारों का निर्यात तेजी से गिरा है जिससे बाकी के देशों जैसे कि चीन, टर्की, बेलारुस, फ्रांस, स्पेन और इटली के लिए काफी मौके बने। फिलहाल हथियारों की वैश्विक सप्लाई के मामले में चीन चौथे स्थान पर है।
पाकिस्तान के साथ मिलकर बनाए गए ऑर्म की भी सप्लाई कर रहा चीन
चीन हथियारों के मार्केट में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पिछले साल वर्ष 2024 में चीन ने कजाकस्तान को ड्रोन्स की सप्लाई की और फरवरी में उजबेकिस्तान को एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम की बिक्री की। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ताशकंद चीन में बने लड़ाकू विमानों की बड़ी खरीदारी पर विचार कर रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा है कि इस सौदे में JF-17 भी शामिल हो सकता है जिसे चीन और पाकिस्तान ने मिलकर डिजाइन किया है। इसका 58 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान में तो 42 फीसदी चीन में बन रहा है। खास बात ये है कि इससे पहले उजबेकिस्तान फ्रांस से रफाल (Rafale) खरीदने पर विचार कर रहा था लेकिन JF-17 ने इस मामले में बाजी मारी कि इस पर रख-रखाव कम खर्चीला है और पायलट को भी कम ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-23 में चीन ने करीब 40 देशों को हथियारों की सप्लाई की है, खासतौर से अफ्रीका और एशिया के देशों में। इस दौकान हथियारों के वैश्विक निर्यात में चीन की हिस्सेदारी 5.8 फीसदी रही और इससे आगे सिर्फ अमेरिका, फ्रांस और रुस रहे। यूक्रेन से लड़ाई के चलते रुस खिसककर तीसरे स्थान पर आ गया है।