पेंटागन से 10 गुना बड़ी, 1500 एकड़ में फैली, चीन धरती के नीचे बना रहा 'बीजिंग मिलिट्री सिटी' सैटेलाइट फुटेज ने बढ़ा दी टेंशन

China Military Centre: जब अमेरिका की सैटेलाइट नजरें पश्चिमी बीजिंग की ओर घूमीं, तो वहां जो दिखा उसने पूरी दुनिया की सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया। जहां चीन की राजधानी से 30 Km दूर हजारों एकड़ जमीन पर कुछ अलग तरह का कंस्ट्रक्शन चल रहा है — वो कोई आम इमारत नहीं, बल्कि शायद दुनिया का सबसे बड़ा कॉम्बैट कमांड सेंटर है

अपडेटेड Jul 03, 2025 पर 5:05 PM
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चीन धरती के नीचे बना रहा 'बीजिंग मिलिट्री सिटी' सैटेलाइट फुटेज ने बढ़ा दी टेंशन

कहते हैं चीन को समझना ऐसा है, जैसे धुंध में खड़े पहाड़ की ऊंचाई मापना — दिखता कम है, लेकिन होता बहुत बड़ा। चीन सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि एक ऐसा रहस्यमय संसार है जो आधुनिकता, शक्ति और गुप्त रणनीतियों का बेजोड़ मेल है। चीन युद्ध से पहले जीत की रणनीति बनाने में विश्वास रखता है, जो कहती है- दिखाओ कुछ नहीं, लेकिन करो बहुत कुछ! चीन चुपचाप जमीन के नीचे कुछ ऐसा कर रहा है, जिसने सभी को टेंशन दे दी है। कोई बोर्ड नहीं, कोई नाम नहीं, कोई नक्शा नहीं — लेकिन सैटेलाइट की नजरों से छुपा नहीं रह सका वो रहस्यमयी शहर जो बन रहा है बीजिंग के बाहर… एक ऐसा शहर जो किसी आम शहर जैसा नहीं, बल्कि लगता है मानो किसी जासूसी थ्रिलर फिल्म की स्क्रिप्ट से निकला हो।

1,500 एकड़ में फैली उस जमीन के नीचे क्या बन रहा है? क्यों उड़ते ड्रोन को रोक दिया जाता है? क्यों उस इलाके की तस्वीर खींचने पर भी रोक... गार्ड कहते हैं- जाओ यहां कुछ नहीं हो रहा है... अगर कुछ नहीं है… तो फिर इतनी बड़ी गहराइयों में खुदाई क्यों हो रही है? क्यों दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसियां इस जगह को कह रही हैं — "कयामत का किला"? जहां बन रहा है एक ऐसा बंकर, जो खुद अमेरिका के पावर सेंटर ‘पेंटागन’ से दस गुना बड़ा है… और जिसे दुनिया जान रही है नए नाम से — "बीजिंग मिलिट्री सिटी!"

जब अमेरिका की सैटेलाइट नजरें पश्चिमी बीजिंग की ओर घूमीं, तो वहां जो दिखा उसने पूरी दुनिया की सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया। जहां चीन की राजधानी से 30 Km दूर हजारों एकड़ जमीन पर कुछ अलग तरह का कंस्ट्रक्शन चल रहा है — वो कोई आम इमारत नहीं, बल्कि शायद दुनिया का सबसे बड़ा कॉम्बैट कमांड सेंटर है।"


बीजिंग के नीचे तैयार हो रहा है चीन का ‘डूम्सडे बंकर’

चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) पश्चिमी बीजिंग में एक ऐसा विशालकाय अंडरग्राउंड कॉम्प्लेक्स बना रही है, जिसे अमेरिका के खुफिया एजेंसियां संभावित युद्धकालीन कमांड सेंटर मान रही हैं। अमेरिकी अधिकारियों और इंटेलिजेंस एक्सपर्ट के अनुसार, यह साइट कम से कम 1,500 एकड़ में फैली है और इसका आकार पेंटागन से दस गुना बड़ा हो सकता है।

पेंटागन अमेरिका का डिफेंस हेडक्वार्टर है, जो वाशिंगटन डीसी के पास वर्जीनिया में है। इसका नाम इसकी पांच कोनों वाली अनोखी इमारत के आकार पर रखा गया है। यह दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग्स में से एक है, जिसमें लगभग 23,000 मिलिट्री और नॉन मिलिट्री कर्मचारी काम करते हैं। पेंटागन से अमेरिका की सेना — जैसे US आर्मी, नेवी, एयर फोर्स, मरीन कॉर्प्स और स्पेस फोर्स — का संचालन, रणनीति और निगरानी होती है। यह इमारत सिर्फ एक ऑफिस नहीं, बल्कि अमेरिका की सैन्य शक्ति का कमांड सेंटर है।

सैटेलाइट इमेज से खुला राज

इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट में सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला दिया गया है, जिसमें तस्वीरों में बड़े-बड़े गड्ढे, भारी क्रेनों और सुरंग जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को देखा गया है, जिन्हें मिलिट्री एक्सपर्ट अभेद्य सुरक्षा वाले बंकर मान रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य में कभी अगर परमाणु युद्ध जैसे हालात बनते हैं, तो यह जगह चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए एक सेफ शेल्टर की तरह काम करेगी, क्योंकि इसे इतना मजबूत बनाया जा रहा है, जिस पर न्यूक्लियर अटैक का भी कुछ असर न हो सके।

‘बीजिंग मिलिट्री सिटी’ नाम दिया गया

इसका कंस्ट्रक्शन 2024 के बीच में शुरू हुआ। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इसे अनौपचारिक रूप से “बीजिंग मिलिट्री सिटी” नाम दिया है। अब तक इसमें 100 से ज्यादा क्रेन लगातार काम कर रही हैं और कई अंडरग्राउंड स्ट्रक्चर बनाए जा रहे हैं।

शी जिनपिंग की सैन्य महत्त्वाकांक्षा का संकेत

पूर्व CIA एक्सपर्ट डेनिस वाइल्डर का मानना है कि यह प्रोजेक्ट चीन की सिर्फ पारंपरिक सेना ही नहीं, बल्कि उसकी परमाणु युद्ध लड़ने की क्षमता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अगर यह सेंटर सच में मिलिट्री लीडरशिप के लिए बनाया जा रहा है, तो यह साफ संकेत है कि बीजिंग अब युद्ध की रणनीति में अमेरिका के बराबर या उससे आगे जाने की तैयारी कर रहा है।

कड़ाई से छुपाया गया निर्माण स्थल

इस प्रोजेक्ट की गोपनीयता इतनी ज्यादा है कि न तो चीन के मीडिया में इसके कोई जिक्र है, न ही कंस्ट्रक्शन साइट पर किसी तरह की बिजनेस एक्टिविटी के संकेत हैं। ड्रोन उड़ाने और तस्वीरें खींचने पर सख्त पाबंदी है। एंट्री गेट पर गार्ड्स तुरंत मना कर देते हैं और किसी भी जानकारी से साफ इनकार कर देते हैं।

सुरक्षा, संचार और रणनीतिक विस्तार – सब कुछ एक जगह

पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के अनुसार, PLA का मौजूदा हेडक्वार्टर बीजिंग में काफी नया जरूर है, लेकिन वो किसी युद्ध की स्थिति के लिए पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। नया सेंटर, जिसे पुराने वेस्टर्न हिल्स मिलिट्री हेडक्वार्टर से बदला जा सकता है, उस पर परमाणु हथियारों का भी कोई असर नहीं होगा। ये एडवांस कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस और भविष्य की सैन्य क्षमताओं को समेटने में सक्षम होगा।

ताइवान को लेकर बढ़ती तैयारी

इस कंस्ट्रक्शन का संबंध ताइवान को लेकर बढ़ती सैन्य तैयारी से भी जोड़ा जा रहा है। US इंटेलिजेंस के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने PLA को 2027 तक ताइवान पर हमले की क्षमता विकसित करने का निर्देश दिया है। यही कारण है कि सेना अपने सभी अंगों का इंटीग्रेट और परमाणु हथियारों का तेजी से विस्तार कर रही है।

चीन की सरकार का जवाब- हमें कोई जानकारी नहीं

जब इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो वॉशिंगटन में चीन के दूतावास ने कहा कि उन्हें इस प्रोजेक्ट की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह जरूर कहा कि चीन शांति की राह पर चलने और “डिफेंसिव डिफेंस पॉलिसी” में विश्वास करता है।

‘द चाइनीज पेंटागन’? इंटरनेट पर उठ रहे सवाल

चीन के सोशल मीडिया पर भी इस साइट को लेकर अटकलें चल रही हैं। Baidu Zhidao जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कुछ यूजर्स ने सवाल उठाए हैं कि क्या बीजिंग के किंगलोंगहू इलाके में "चाइनीज पेंटागन" बन रहा है?

ताइवान के रक्षा विशेषज्ञों ने भी इसे सिर्फ मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप नहीं, बल्कि कॉम्बैट कमांड हब करार दिया है।

भविष्य के युद्ध की तैयारी या ताकत का प्रदर्शन?

ये निर्माण न केवल चीन की तेजी से बदलती सैन्य सोच को दिखाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सामरिक संतुलन के लिए भी एक चेतावनी है। जब एक देश जमीन के नीचे किला बना रहा हो — जो परमाणु युद्ध तक को झेल सके — तब दुनिया को सतर्क हो जाना चाहिए। यह सिर्फ चीन की रक्षा नहीं, उसकी आक्रामक रणनीति का संकेत भी हो सकता है।

क्या यह सीक्रेट मिलिट्री सिटी केवल सुरक्षा के लिए है या आने वाले समय की किसी बड़ी योजना का हिस्सा? यह सवाल आज पूरी दुनिया के सामने खड़ा है।

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