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Tariff War: टैरिफ वॉर में अमेरिका पर भारी पड़ेगा चीन, जानिए डोनाल्ड ट्रंप क्यों नहीं टिक पाएंगे

Trump tariffs: अमेरिका की सबसे बड़ी 7 टेक्नोलॉजी कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन से आयातित मिनरल्स पर निर्भर हैं। चीन ने 15 अप्रैल को अमेरिका के टैरिफ के जवाब में अमेरिका को इन मिनरल्स की सप्लाई पर रोक लगा दी है। इससे अमेरिका कंपनियां काफी चिंतित हैं

अपडेटेड Apr 22, 2025 पर 12:34 PM
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इलेक्ट्रॉनिक्स सहित दूसरे प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ 17 तत्वों का 61 फीसदी उत्पादन चीन में होता है।

अमेरिका की 7 दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनियां खास मिनरल्स की अपनी जरूरतों के लिए चीन पर निर्भर  हैं। इनमें एनवीडिया, माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला और एपल जैसी कंपनियां शामिल हैं। लॉकहीड मार्टिन जैसी डिफेंस और एयरोस्पेस कंपनियां भी मिनरल्स की अपनी जरूरतों के लिए चीन पर निर्भर हैं। इन मिनरल्स का इस्तेमाल मोबाइल फोन, कंप्यूटर्स, हॉस्पिटल इक्विपमेंट, बैटरी से चलने वाली कारों और मिसाइल के उत्पादन में भी होता है। इन मिनरल्स के बगैर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रोग्रेस भी ठप पड़ जाएगा। क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी डर से के चीन के साथ खुलकर मोलभाव नहीं कर पा रहे हैं?

कई दुर्लभ मिनरल्स का उत्पादन चीन में होता है

इलेक्ट्रॉनिक्स सहित दूसरे प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले दुर्लभ 17 तत्वों का 61 फीसदी उत्पादन चीन में होता है। इनकी 92 फीसदी प्रोसेसिंग फैसिलिटीज चीन में हैं। टेस्टिंग और प्रोसेसिंग के बगैर इन दुर्लभ तत्वों की कोई वैल्यू नहीं है। चीन ने अप्रैल की शुरुआत में अमेरिकी को दुर्लभ माने जाने वाले 7 मिनरल्स की सप्लाई पर रोक लगा दी थी। चीन ने ट्रंप के टैरिफ के जवाब में यह कदम उठाया था। इस बारे में अमेरिका में चिंता जताई जा रही है। माना जाता है कि दुर्लभ मिनरल्स की सप्लाई से अमेरिका को चीन के 125 फीसदी टैरिफ से ज्यादा नुकसान होगा।

चीन ने 15 अप्रैल को सप्लाई पर लगाई रोक


ट्रंप ने खुद इसे माना है कि जरूरी मिनरल्स की सप्लाई पर रोक से अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग पर असर पड़ेगा। ट्रंप ने 15 अप्रोल को अपने एग्जिक्यूटिव ऑर्डर में कहा था, "आयात पर हमारी निर्भरता और सप्लाई चेन में दिक्कत का असर नेशनल सिक्योरिटी, रक्षा तैयारियों, प्राइस स्टैबिलिीट और आर्थिक समृद्धि पर पड़ सकता है।" ट्रंप ने दुर्लभ मिनरल्स के विकल्प के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। इसके लिए उसने यूक्रेन को बड़ी आर्थिक मदद देने की भी पेशकश की थी। उनकी नजरें ग्रीनलैंड पर भी हैं। ट्रंप इंडिया के साथ भी समझौता करना चाहते हैं, जहां मिनरल्स का दुनिया का छठा सबसे बड़ा रिजर्व है।

अमेरिकी कंपनियां ट्रंप पर बना सकती हैं दबाव

सवाल है कि चीन के गुड्स पर 145 फीसदी का ट्रंप का टैरिफ कितने समय तक जारी रहेगा? इससे अमेरिकी इकोनॉमी को बड़ा नुकसान हो रहा है। अमेरिका में आम लोगों के लिए प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों के साथ ही डिफेंस इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनियां ट्रंप पर चीन से समझौते के लिए दबाव बना सकती हैं। वे चीन से फिर से सप्लाई के लिए ट्रंप को चीन के साथ समझौता करने को कह सकती हैं। ऐसा नहीं होने पर इन कंपनियों के वजूद को खतरा पैदा हो सकता है।

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दुनियाभर में बैटरी के उत्पादन पर भी असर

चीन ने मिनरल्स की सप्लाई पर जो बैन लगाया है, उसका असर दुनियाभर में बैटरी के उत्पादन पर पड़ा है। बैटरी के इस्तेमाल में जिस मैगनेट का इस्तेमाल होता है, उसकी सप्लाई चीन करता है। सीएनएन ने हाल में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीन ने कम से कम 5 अमेरिकी और चाइनीज कंपनियों को दुर्लभ मिनरल्स की सप्लाई पर रोक लगा दी है। heavy rare Earths के मामले में स्थिति और गंभीर है, क्योंकि इन पर चीन का 98 फीसदी नियंत्रण है।

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