Donald Trump: ‘रूस-यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहे भारत-चीन', UN में बोले ट्रंप, NATO देशों की भी आलोचना

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि, चीन और भारत रूसी तेल खरीदकर इस युद्ध को फंड कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नाटो देश भी रूसी ऊर्जा पर पर्याप्त रोक नहीं लगा पाए हैं। ट्रंप ने कहा कि उन्हें दो हफ़्ते पहले ही इसका पता चला और वे इससे खुश नहीं है

अपडेटेड Sep 23, 2025 पर 9:35 PM
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ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपने संबोधन के दौरान भारत और चीन का नाम लिया।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र संघ के आम सभा में अपने संबोधन के दौरान भारत और चीन का नाम लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस यूक्रेन युद्ध पर कहा कि, नाटो देश अपने खिलाफ युद्ध को फंड कर रहे हैं। उन्होंने भारत-चीन को यूक्रेन जंग में रूस को फंड करने का आरोप लगाया। ट्रंप ने कहा कि चीन और भारत रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन में युद्ध के प्रइमरी फंडर हैं। ट्रंप ने यूरोप के लिए भी कहा कि, 'वे रूस से लड़ते हुए रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं. यह उनके लिए शर्मनाक है।'

ट्रंप ने फिर लिया भारत और चीन का नाम

डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि, चीन और भारत रूसी तेल खरीदकर इस युद्ध को फंड कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नाटो देश भी रूसी ऊर्जा पर पर्याप्त रोक नहीं लगा पाए हैं। ट्रंप ने कहा कि उन्हें दो हफ़्ते पहले ही इसका पता चला और वे इससे खुश नहीं हैं, क्योंकि इससे देश अपने ही खिलाफ युद्ध को फंडिंग कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर रूस युद्ध खत्म करने के लिए समझौते पर राजी नहीं हुआ, तो अमेरिका उस पर कड़े टैरिफ लगाएगा। ट्रंप ने यूरोपीय देशों से भी अपील की कि वे अमेरिका का साथ दें और रूस पर ऐसे ही कदम उठाएं ताकि इस संघर्ष को जल्द खत्म किया जा सके।


अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में यूएन की जमकर खिंचाई की। ट्रंप ने शुरुआत में खराब टेलीप्रॉम्पटर के जरिए यूएन पर निशाना साधा। आगे उन्होंने कहा कि यूएन की कार्य करने का तरीका खराब टेलीप्रॉम्पटर की तरह ही है।

 बता दें कि ट्रंप के भाषण के दौरान यूएन में अचानक टेलीप्रॉम्प्टर रूक गया था। इसके बाद उन्होंने कहा कि, अगर यह नहीं काम कर रहा होता है तो आप ज्यादा दिल से बोलते हैं। जो कोई भी इस टेलीप्रॉम्प्टर को चला रहा है, वह बड़ी मुसीबत में है। इसके बाद ट्रंप ने अपना भाषण शुरू किया। ट्रंप ने कहा कि यूएन में बहुत क्षमता है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में वह अपनी असली भूमिका निभाने में असफल रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर ऐसे में संयुक्त राष्ट्र का उद्देश्य क्या रह जाता है।

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