अमेरिका के ह्यूस्टन से चला जहाज इस साल अक्टूबर में कराची पहुंच जाएगा। इस जहाज पर अमेरिकी क्रूड ऑयल लदा होगा। जहाज के पाकिस्तान के बंदरगाह पर पहुंचते ही अब तक पर्दे के पीछे चल रहे गुणाभाग के निशान जमीन पर उतर आएंगे। पाकिस्तान की सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियों में अमेरिका का पेट्रोल भरा होगा। गाड़ियों की रफ्तार तो शायह पहले जितनी रहेगी लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते फिर से कई दशक पहले के ट्रैक पर लौटने जा रहे हैं।
पाकिस्तान अमेरिका से क्रूड इंपोर्ट करेगा
अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ नई ट्रेड डील (US Pakistan Trade Deal) की है। इसके तहत पाकिस्तान की सबसे बड़ी रिफाइनिंग कंपनी Cnergyico अमेरिका से 10 लाख बैरल क्रूड ऑयल का इंपोर्ट करने जा रही है। Cnergyico के वाइस चेयरमैन उसामा कुरैशी ने रायटर्स को यह बताया। अमेरिका से इस तेल के अक्टूबर के मध्य तक पाकिस्तान पहुंचने की उम्मीद है।
पाकिस्तान के ऑयल रिजर्व को डेवलप करने का प्लान
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में यह ऐलान किया कि उन्होंने पाकिस्त के साथ एक डील की है। इस डील के तहत अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान के ऑयल रिजर्व को डेवलप करेंगे। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर अपने पोस्ट में लिखा, "कौन जानता है वह किसी दिन इंडिया को तेल बेचे।" ऊपर से देखने में तो यह एक सामान्य ट्रेड दिखती है, लेकिन इसके मायने काफी गंभीर हैं।
पाकिस्तान को फिर से अपने पाले में लाना चाहता है अमेरिका
अमेरिका के साथ पाकिस्तान की एनर्जी डील के न सिर्फ इंडिया और चीन के लिए रणनीतिक मायने हैं बल्कि इसका असर इस पूरे इलाके पर पड़ने वाला है। Witol और Synergico से जुड़ा यह एग्रीमेंट ऐसे वक्त हुआ है जब रूस से इंडिया के बढ़ते एनर्जी और डिफेंस ट्रेड ने अमेरिका की नींद उड़ा दी है। अमेरिका को अब उस पाकिस्तान में अपना बड़ा व्यापारिक साझेदार दिख रहा है, जिसे उसने कभी 'आतंकियों का शरण स्थल' कहा था।
पाकिस्तान में ऑयल रिजर्व की हकीकत कुछ और
ट्रंप ने जिस पाकिस्तान के ऑयल रिजर्व को लेकर बड़े दावे किए हैं, उसकी हकीकत कुछ और है। 2016 तक पाकिस्तान में ऑयल का सिर्प 35.3 करोड़ बैरल ऑयल रिजर्व की पहचान हो पाई थी। यह दुनिया में क्रूड के कुल रिजर्व का सिर्फ 0.021 फीसदी है। इससे ईंधन की दो साल की भी जरूरत पुरी नहीं हो पाएगी। पाकिस्तान में ऑयल का दैनिक उत्पादन सिर्फ 88,000 बैरल है। पाकिस्तान अपनी 85 ऑयल की जरूरत इंपोर्ट से पूरा करता है।
अमेरिका को पाकिस्तान की चीन से नजदीकी पसंद नहीं
सवाह है कि ट्रंप ने फिर पाकिस्तान से बड़ी एनर्जी डील का दावा क्यों किया? जवाब है कि यह डील तो सिर्फ एक दिखावा है। अमेरिका का असली मकसद एक बार फिर से पाकिस्तान में अपने रणनीतिक असर को हासिल करना है। अमेरिका के पाकिस्तान के दूरी बनाने के बाद से पाकिस्तान चीन के काफी करीब आया है। पिछले एक दशक में पाकिस्तान और चीन के बीच के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं।
चीन पाकिस्तान में अरबों डॉलर इनवेस्ट कर रहा
चीन पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है। चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीईपीसी) इसका एक बड़ा उदाहरण है। ट्रंप को लगता है कि ऑयल के नाम पर पाकिस्तान के साथ नजदीकी उसे पाकिस्तान को चीन से दूर करने में मददगार साबित हो सकती है। अमेरिका का मकसद फिर से पाकिस्तान पर ऐसी पकड़ पैदा करना है, जिसमें वह अमेरिका के इशारे पर हर काम करेगा।
भारत को अमेरिका की चाल से रहना होगा सावधान
अमेरिका को अपनी इस रणनीति के लिए इंडिया से संबंधों की कीमत चुकानी पड़ सकती है। इंडिया को बार-बार अपना स्वाभाविक साझेदार बताने वाला अमेरिका इंडिया पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने जा रहा है। अमेरिका को पाकिस्तान की आतंक की जमीन अब नहीं दिख रही। उसे तो सिर्फ अपना मतलब दिख रहा है, जिसे साधने के लिए वह पहले भी गिरगिट की तरह रंग बदलता रहा है। भारत को अमेरिका के खतरनाक इरादों को समझने की जरूरत है।