ईरान इजरायल की लड़ाई में शांतिदूत बनना चाह रहा है चीन, बोला- हम सुलझाएंगे दोनों का झगड़ा

Iran Israel War News: ईरान के साथ अपनी बातचीत में, वांग ने कहा कि "चीन खुले तौर पर ईरान की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के इजरायल के उल्लंघन की निंदा करता है।" चीन के विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान का हवाला देते हुए तेहरान को अपना समर्थन दिया

अपडेटेड Jun 17, 2025 पर 1:09 PM
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Iran Israel War: ईरान इजरायल की लड़ाई में शांतिदूत बनना चाह रहा चीन

चीन ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर इजरायल के हवाई हमलों की खुले तौर पर निंदा की है। हालांकि, उसने दोनों दोनों मध्य पूर्वी देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश भी की है। चीन ने चेतावनी दी है कि ईरान-इजराइल संघर्ष से मध्य पूर्व में जबरदस्त अस्थिरता फैल सकती है। विदेश मंत्री वांग यी ने दोनों देशों से संपर्क किया है, क्योंकि इन दोनों देशों के बीच कई दिनों से चल रहा संघर्ष खत्म होता नहीं दिख रहा है। यह इस इलाके में अमेरिका के कूटनीतिक प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए बीजिंग की एक नई कोशिश है।

CNN के अनुसार, सोमवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची और इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सा’आर के साथ अलग-अलग फोन पर बातचीत की।

ईरान का खुलकर पक्ष ले रहा चीन


ईरान के साथ अपनी बातचीत में, वांग ने कहा कि "चीन खुले तौर पर ईरान की संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के इजरायल के उल्लंघन की निंदा करता है।" चीन के विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान का हवाला देते हुए तेहरान को अपना समर्थन दिया।

वहीं इजरायल के साथ बातचीत में, वांग ने दोनों पक्षों से बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाने का आह्वान किया और कहा कि चीन “सभी संबंधित पक्षों के साथ बातचीत जारी रखने और स्थिति को कम करने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।”

वहीं चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने सोमवार को एक रेगुलर ब्रीफिंग में कहा, "अगर इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष बढ़ता है या यहां तक ​​कि फैलता है, तो मध्य पूर्व के अन्य देश निश्चित रूप से इसका खामियाजा भुगतेंगे।"

ईरान से चीन की नजदीकी

अब तक अमेरिका ने इजरायल के डिफेंस सिस्टम को सीमित सपोर्ट दी है और ईरान के खिलाफ खुद सीधे तौर जवाबी कार्रवाई में शामिल नहीं हुआ है।

चीन लंबे समय से ऊर्जा और रक्षा दोनों क्षेत्रों में ईरान का बड़ा पार्टनर रहा है। दोनों देशों ने रूस के साथ मिलकर नौसैनिक अभ्यास किए हैं और बीजिंग ने अमेरिकी प्रतिबंधों का विरोध करते हुए ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए समर्थन भी जताया है।

ऐसा माना जाता है कि चीन ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीदार बना रहेगा। इसके सटीक आंकड़े मौजूद नहीं हैं, क्योंकि 2022 के बाद से आधिकारिक कस्टम्स डेटा नहीं है।

मध्यस्ता या अपना फायदा?

कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि वर्तमान इजरायल-ईरान तनाव चीन को मीडिएटर के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका देता है। खासतौर से सऊदी-ईरान मेल-मिलाप में उसके सफल सहयोग के बाद।

हालांकि, अन्य लोगों का तर्क है कि इस संघर्ष में मध्यस्थता करने की चीन की क्षमता सीमित है, खासतौर से अमेरिका और दूसरी क्षेत्रीय शक्तियों की भागीदारी को देखते हुए।

फिर भी, चीन तटस्थ और शांति का रुख अपनाए हुए है,और प्रभावशाली देशों से तनाव कम करने के लिए दबाव बनाने का आग्रह कर रहा है।

ईरानी विदेश मंत्री के साथ बातचीत के दौरान वांग यी ने कहा, "शांति बहाल करने के लिए।"

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में आशा जताई की कि ईरान और इजरायल "एक समझौते पर पहुंचेंगे।"

ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात करने का भी दावा किया और मध्यस्थ के रूप में रूस की संभावित भूमिका के लिए खुलापन व्यक्त किया।

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