Los Angeles Protests : लॉस एंजिल्स में पिछले कई दिनों से चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये प्रदर्शन अमेरिका में इमिग्रेशन रेड के खिलाफ भड़के थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हालात को संभालने के लिए शहर में 2,000 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया। उनके इस कदम से राजनीतिक बहस भी छिड़ गई है। प्रदर्शन इतना हिंसक होता जा रहा है कि लोग अब गाड़ियों को आग के हवाले कर रहे हैं। बढ़ते प्रदर्शनों को देखते हुए ट्रंप ने दंगाइयों से सख्ती से निपटने का आदेश दिया है।
ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को "हिंसक और विद्रोही भीड़" कहकर उनकी निंदा की। प्रदर्शनों के दौरान कई वाहनों में आग लगा दी गई और शहर के कई इलाकों से लूटपाट की खबरें भी सामने आई हैं। आइए जानते हैं आखिर अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर लॉस एंजिल्स आखिर क्यों भकड़ी है हिंसा।
लॉस एंजिल्स में लोग विरोध क्यों कर रहे हैं?
लॉस एंजिल्स में विरोध प्रदर्शन शुक्रवार को शुरू हुए, जब यह खबर सामने आई कि इमिग्रेशन और कस्टम इंफोर्समेंट (ICE) अधिकारी शहर के उन इलाकों में रेड कर रहे हैं जहाँ लैटिनो (हिस्पैनिक) आबादी ज़्यादा है। इन कार्रवाइयों में तेजी तब आई जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस लौटे और अवैध प्रवासियों (इलीगल इमिग्रेंट्स) के खिलाफ सख्त कदम उठाने का वादा किया। CBS न्यूज के मुताबिक, हाल ही में वेस्टलेक और पैरामाउंट जैसे इलाकों में छापे मारे गए हैं। पैरामाउंट की आबादी का 82% से अधिक हिस्सा हिस्पैनिक समुदाय से है।
कुछ खबरों में कहा गया कि पैरामाउंट में होम डिपो की एक दुकान पर भी ICE ने छापा मारा, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि यह खबर गलत है। ICE ने CBS को जानकारी दी कि शुक्रवार को एक जॉब साइट पर की गई एक कार्रवाई में 44 इलीगल इमिग्रेंट्स को गिरफ्तार किया गया। उसी दिन ग्रेटर लॉस एंजिल्स इलाके से 77 और लोगों को भी पकड़ा गया।
लॉस एंजिल्स में क्यों हो रही रेड
ये कार्रवाइयां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस योजना का हिस्सा हैं, जिसमें उन्होंने अमेरिका के इतिहास का 'सबसे बड़ा डिपोर्टेशन प्लान' शुरू करने की बात कही थी। लॉस एंजिल्स इस प्लान का एक बड़ा केंद्र रहा है क्योंकि यहां की एक-तिहाई से ज़्यादा आबादी विदेश में पैदा हुई है।मई की शुरुआत में, ICE ने बताया था कि उन्होंने LA क्षेत्र में एक हफ्ते तक चले अभियान में 239 अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि गिरफ्तारी और निर्वासन की संख्या ट्रंप की उम्मीदों से कम रह गई थी। जून में, व्हाइट हाउस ने ICE को रोजाना कम से कम 3,000 लोगों को गिरफ्तार करने का नया लक्ष्य दिया। इसके तहत अब रेस्तरां और दुकानों जैसे वर्कप्लेस पर भी छापे मारे जा रहे हैं। इस एक्शन के तहत कुछ प्रवासियों को अल साल्वाडोर की एक बड़ी जेल में भी भेजा गया है।
कहां हो रहे विरोध प्रदर्शन
लॉस एंजिल्स में चल रहे विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से डाउनटाउन LA तक सीमित हैं। कई दिनों तक चली झड़पों के बाद पुलिस ने इस इलाके को अनलॉफुल असेंबली यानी अवैध सभा क्षेत्र घोषित कर दिया है। बीते रविवार को हालात और बिगड़ गए, जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी। पुलिस का आरोप है कि भीड़ ने पुलिस पर आग लगाने वाले उपकरणों से हमला किया।
पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए फ्लैश-बैंग ग्रेनेड और काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया। इस अशांति की वजह से कुछ समय के लिए 101 फ़्रीवे को भी बंद करना पड़ा और लूटपाट की घटनाएं भी सामने आईं। डाउनटाउन में स्थित फेडरल बिल्डिंग अब विरोध का बड़ा केंद्र बन गई है, क्योंकि खबर है कि वहां पर ICE द्वारा पकड़े गए प्रवासियों को रखा गया है। यही वजह है कि प्रदर्शन और ज़्यादा उग्र हो गए हैं।
शनिवार को ICE ने आरोप लगाया कि 1,000 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों ने उनकी इमारत को घेरने और हमला करने की कोशिश की। लॉस एंजिल्स से करीब 20 मील दूर पैरामाउंट में स्थित होम डिपो की शॉप भी एक बड़ा विरोध स्थल बन गई है। शनिवार को वहाँ इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और फ्लैश-बैंग ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। वहीं रविवार को नेशनल गार्ड के हथियारबंद जवानों ने पास के एक बिजनेस पार्क की सुरक्षा की। लॉस एंजिल्स पुलिस (LAPD) ने बताया कि शनिवार को 29 लोगों को और रविवार को 27 और लोगों को गिरफ्तार किया गया। दूसरी ओर, सैन फ्रांसिस्को में भी रविवार को अशांति देखी गई, जहाँ लगभग 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया और तीन पुलिस अधिकारी घायल हो गए।