Myanmar Earthquake: म्यांमार में क्यों आते हैं इतने भूकंप और क्या है वो सागाइंग फॉल्ट, जिससे रेड जोन में आता है देश

म्यांमार (बर्मा) भूकंपीय दृष्टि से सबसे ज्यादा एक्टिव रीजन में से एक है। ग्लोबल सिस्मिक रिस्क मैप पर, म्यांमार भूकंप के मीडियम से हाई रिस्क वाले रेड जोन में आता है। ऐसा कहा जाता है कि म्यांमार में भूकंप के खतरे का सबसे बड़ा कारण सागाइंग फॉल्ट है, जो एक बड़ा फॉल्ट है

अपडेटेड Mar 28, 2025 पर 7:32 PM
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Myanmar Earthquake: म्यांमार में क्यों आते हैं इतने भूकंप और क्या है वो सागाइंग फॉल्ट, जिससे रेड जोन में आता है देश

US जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, शुक्रवार को म्यांमार में लगातार दो भूकंप आए, जिनमें से एक की तीव्रता 7.7 और दूसरे की 6.4 थी। भूकंप का केंद्र सेंट्रल म्यांमार में, मोन्यवा शहर से लगभग 50 किलोमीटर पूर्व में बताया गया। म्यांमार में जहां जान-माल का नुकसान हुआ, वहीं भूकंप के झटके पड़ोसी देश थाईलैंड के बैंकॉक में भी महसूस किए गए, जहां इमारतें हिलती देखी गईं। बैंकॉक में आए भीषण भूकंप के कारण एक निर्माणाधीन इमारत के ढह जाने से कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि 81 अब भी लापता बताए गए हैं।

क्या म्यांमार भूकंप क्षेत्र है?

म्यांमार (बर्मा) भूकंपीय दृष्टि से सबसे ज्यादा एक्टिव रीजन में से एक है। ग्लोबल सिस्मिक रिस्क मैप पर, म्यांमार भूकंप के मीडियम से हाई रिस्क वाले रेड जोन में आता है।


सागाइंग फॉल्ट

ऐसा कहा जाता है कि म्यांमार में भूकंप के खतरे का सबसे बड़ा कारण सागाइंग फॉल्ट है, जो एक बड़ा फॉल्ट है, खासतौर से इंडियन प्लेट और सुंडा प्लेट के बीच कॉन्टिनेंटल राइट लेटरल ट्रांसफार्मर फॉल्ट है। यह म्यांमार से लगभग 1,200 किलोमीटर तक फैला हुआ है।

सागाइंग फॉल्ट को कई बड़े भूकंपों से जोड़ा गया है, जो इस इलाके की भूकंपीय गतिविधि को उजागर करता है। इस फॉल्ट में दो लैंडमास एक दूसरे के बगल से गुजरते हैं, और अनुमानित मूवमेंट रेट प्रतिवर्ष 11 mm से 18 mm के बीच होती है।

लगातार होने वाले बदलाव के कारण तनाव बढ़ता है और आखिरकार भूकंप के रूप में निकलता है। मापी गई फिसलन दर, जो प्रति वर्ष 18 mm तक है, पर्याप्त हलचल को पैदा करती है, जिससे एनर्जी निकलती है, जो एक तगड़ा भूकंप पैदा करती है।

भूकंप का कारण क्या है?

भूकंप तब आता है, जब धरती की टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे के खिलाफ खिसकती हैं, जिससे घर्षण पैदा होता है। फॉल्ट लाइन के साथ अचानक होने वाली इस हलचल से जमीन काफी जोर से हिलती है और कभी-कभी भूस्खलन, बाढ़ और सुनामी भी आ सकती है।

ठोस दिखने के बावजूद, पृथ्वी सतह के नीचे बहुत एक्टिव है। इसमें चार परतें हैं: एक सॉलिड क्रस्ट, एक हॉट, लगभग सॉलिड मेंटल, एक लिक्विड आउटर कोर और एक सॉलिड इनर कोर।

लीथोस्फेयर में सॉलिड क्रस्ट और सॉलिड मेंटल परत शामिल है।ये टेक्टोनिक प्लेट्स नाम के बड़े पहेली टुकड़ों से बना है। जैसा कि नासा ने बताया है, ये प्लेटें नीचे की चिपचिपी मेंटल परत पर लगातार मूव कर रहती हैं।

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First Published: Mar 28, 2025 7:32 PM

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