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भारत के सिंधु जल संधि निलंबन पर बौखलाया पाकिस्तान, PM शहबाज शरीफ बोले- अब खुद बनाएंगे वाटर स्टोरेज

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यह बयान नेशनल इमरजेंसी ऑपरेशंस सेंटर की यात्रा के दौरान दिया, जिसे भारत की सख्त नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान — "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते" — के जवाब में घबराहट भरी प्रतिक्रिया माना जा रहा है

अपडेटेड Jul 02, 2025 पर 9:06 PM
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भारत के सिंधु जल संधि निलंबन पर बौखलाया पाकिस्तान, PM शहबाज शरीफ बोले- अब खुद बनाएंगे वाटर स्टोरेज

भारत की तरफ से सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को अप्रैल में निलंबित करने के बाद से पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि उनका देश अब अपनी जल भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिए तुरंत और बहुत तेजी से कदम उठाएगा ताकि भारत की "जल को हथियार बनाने की साजिश" का मुकाबला किया जा सके।

शरीफ ने यह बयान नेशनल इमरजेंसी ऑपरेशंस सेंटर की यात्रा के दौरान दिया, जिसे भारत की सख्त नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान — "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते" — के जवाब में घबराहट भरी प्रतिक्रिया माना जा रहा है।

क्या है सिंधु जल संधि?


सिंधु जल संधि, भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई एक ऐतिहासिक संधि है, जिसके तहत भारत को पूर्वी नदियों (सतलुज, ब्यास, रावी) का और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिकतर जल इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया था।

भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह संधि निलंबित कर दी थी। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रॉक्सी ग्रुप ने ली थी। भारत के इस ऐतिहासिक फैसले से पाकिस्तान के सामने जल संकट की गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है।

पाकिस्तान बोला- भारत की मंशा 'शैतानी'

डॉन अखबार के मुताबिक, प्रधानमंत्री शरीफ ने भारत के फैसले को 'एकतरफा और अवैध' बताते हुए कहा कि "दुश्मन की शैतानी सोच पाकिस्तान के खिलाफ है।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत इस संधि को weaponize (हथियार की तरह) इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है।

शरीफ ने कहा, “सरकार ने तय किया है कि हम अपनी जल भंडारण क्षमता का निर्माण खुद करेंगे। हम इसे अपनी घरेलू संसाधनों से पूरा करेंगे और इसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका अहम होगी।”

दीमर-भाषा डैम का काम होगा तेज

शहबाज शरीफ ने अपने संबोधन में सालों से अटका हुआ दीमर-भाषा डैम प्रोजेक्ट को तेज करने की भी बात कही। यह डैम सिंधु नदी पर बनना है और इसकी योजना 1980 के दशक में बनाई गई थी, लेकिन लोकेशन, पर्यावरण के असर और लागत जैसी वजहों से यह प्रोजेक्ट अब तक अधूरा है।

पाकिस्तान सरकार अब इसे प्राथमिकता पर लेकर तेजी से आगे बढ़ाना चाहती है, ताकि जल संकट से निपटा जा सके।

भारत के कदम से खुली पाकिस्तान की पोल

शरीफ का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि भारत के सख्त फैसले के बाद पाकिस्तान की जल सुरक्षा और उसकी तैयारियों की पोल खुल गई है। भारत ने जब संधि को निलंबित किया, तो साथ ही बाढ़ चेतावनी और सिंचाई से जुड़ा डेटा भी साझा करने की बाध्यता खत्म कर दी। इससे पाकिस्तान को मॉनसून सीजन में खासा खतरा हो सकता है।

इस बीच पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी भारत के इस कदम को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा, “अगर भारत पाकिस्तान की जल आपूर्ति को रोकता है तो इसे अस्तित्व का संकट माना जाएगा और पाकिस्तान के पास **जंग के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।"

पाकिस्तान की निर्भरता और भारत की रणनीति

पाकिस्तान की कृषि व्यवस्था 93% पानी सिंधु बेसिन की पश्चिमी नदियों से मिलती है और यही उसकी सबसे बड़ी निर्भरता है। भारत के फैसले से पाकिस्तान को गहरा झटका लगा है, खासकर ऐसे समय में जब उसकी अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचा पहले से ही चरमराया हुआ है।

भारत के इस रुख ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि अब सीमापार आतंकवाद के खिलाफ कूटनीतिक हथियारों का इस्तेमाल भी उसी गंभीरता से होगा, जैसा कि सैन्य या आर्थिक स्तर पर होता है।

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