चीन ने 10 सप्ताह से अधिक समय से अमेरिका से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) खरीदना बंद कर दिया है। चीनी सरकार की ओर से अमेरिकी गैस पर 49% टैरिफ ने खरीद को वित्तीय रूप से अव्यवहारिक बना दिया है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शिपिंग डेटा से यह बात पता चली है। यह शटडाउन अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड को लेकर बढ़ी टेंशन का एक गंभीर विस्तार है। रिपोर्ट के मुताबिक, आखिरी कार्गो 6 फरवरी का था, जब टेक्सास के कॉर्पस क्रिस्टी से भेजे गए 69,000 टन के टैंकर ने चीन के फ़ुजियान प्रांत में एंट्री की थी।
कुछ दिनों बाद एक और जहाज को बांग्लादेश की ओर मोड़ दिया गया क्योंकि चीन ने पहले 15% टैरिफ जोड़ा और फिर यूएस LNG के लिए टैरिफ को 49% तक बढ़ा दिया। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार में ठहराव पर एनालिस्ट्स ने चेतावनी दी है कि प्रभाव अधिक लंबे समय तक हो सकते हैं।
चीन के LNG इंपोर्ट में अमेरिका की हिस्सेदारी कितनी
2021 में चीन के LNG आयात में अमेरिका का योगदान 11 प्रतिशत था। साल 2024 में यह गिरकर 6 प्रतिशत रह गया। पेट्रो चाइना और सिनोपेक जैसी बड़ी चीनी एनर्जी कंपनियों के पास अभी भी अमेरिकी टर्मिनलों से LNG खरीदने के लिए 13 लॉन्ग टर्म सौदे हैं, जो 2049 तक के लिए हैं। ये डील अमेरिका और मैक्सिको में मल्टी-बिलियन डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए पेमेंट में महत्वपूर्ण रही हैं। हालांकि, डेवलपर्स अब महंगाई और टैरिफ-संबंधी खर्चों के कारण उनमें से कुछ समझौतों पर फिर से विचार करना चाहते हैं।
एनर्जी पर रूस से नजदीकियां बढ़ा रहा चीन
इस बीच चीन, रूस के साथ एनर्जी संबंधों को बढ़ा रहा है। ऑस्ट्रेलिया और कतर के बाद रूस, चीन का तीसरा सबसे बड़ा LNG सप्लायर बन गया है। दोनों देश पावर ऑफ साइबेरिया 2 पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर बातचीत कर रहे हैं। चीन के रूसी गैस की ओर मुड़ने से अमेरिकी LNG उद्योग की आकांक्षाओं को कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा, न केवल टैरिफ के चलते, बल्कि बदलते ग्लोबल अलाइनमेंट और एशिया से कमजोर मांग के कारण भी।