Trump on Rate Cut: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शेयर बाजार में गिरावट के बीच फेडरल रिजर्व से ब्याज दरें घटाने की अपील की है। उन्होंने कहा, "अमेरिका में कोई महंगाई नहीं है।" फेडरल रिजर्व की अगली मौद्रिक नीति बैठक (FOMC) 6-7 मई को होने वाली है। ट्रंप ने कहा कि ब्याज दरें पहले ही काफी हद तक नीचे आ चुकी हैं, और फेडरल रिजर्व (जो सुस्त निर्णय लेता है) को अब जल्दी से ब्याज दरें और घटा देनी चाहिए।
ट्रंप ने ब्याज दर और महंगाई के बारे में क्या कहा?
ट्रंप ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा, “अमेरिका हर हफ्ते अरबों डॉलर कमा रहा है।” उन्होंने आगे कहा, “तेल की कीमतें नीचे हैं, खाने की कीमतें नीचे हैं, महंगाई है ही नहीं। और वर्षों से शोषित अमेरिका अब उन देशों से अरबों डॉलर ला रहा है जो टैरिफ के जरिए हमें नुकसान पहुंचाते रहे हैं।”
उन्होंने चीन पर निशाना साधते हुए कहा, “सबसे बड़ा शोषक चीन है, जिसकी मार्केट क्रैश हो रही है। उसने 34% और टैरिफ बढ़ा दिए हैं। ये देश मेरे चेतावनी के बावजूद जवाबी कार्रवाई कर रहे हैं। दशकों से अमेरिका का फायदा उठाया गया है, इसके लिए हमारे पूर्व नेता जिम्मेदार हैं।”
अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट
अमेरिकी शेयर बाजारों में शुक्रवार को भारी गिरावट दर्ज की गई थी। S&P 500 में 5.97%, नैस्डैक में 5.82% और डॉव में 5.50% की गिरावट हुई। पूर्व वित्त सचिव लॉरेंस समर्स के अनुसार, S&P ने दो दिन में कुल 10.5% की गिरावट झेली। हालांकि, सोमवार (7 अप्रैल) को अमेरिकी शेयर बाजार में शुरुआत में 3% तक की गिरावट दिखी, लेकिन फिर रिकवरी भी देखने को मिली।
इस बीच, फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने शुक्रवार को कहा कि ट्रंप के नए टैरिफ "उम्मीद से कहीं ज्यादा बड़े" हैं। उनका कहना था कि इसका असर महंगाई और विकास दर दोनों पर काफी गंभीर हो सकता है। पॉवेल ने कहा, “हम एक बेहद अनिश्चित स्थिति का सामना कर रहे हैं, जहां उच्च बेरोजगारी और उच्च महंगाई दोनों के जोखिम मौजूद हैं।”
अमेरिकी टैरिफ पर क्या है एक्सपर्ट की राय
प्रशांत तापसे सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च), मेहता इक्विटीज ने समाचार एजेंसी PTI को बताया, “शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों की गिरावट से पहले ही साफ था कि बाकी वैश्विक बाजारों पर इसका असर पड़ेगा। ट्रंप की 'रेसिप्रोकल टैरिफ' नीति से मंदी और महंगाई दोनों का खतरा बढ़ सकता है।”
उन्होंने यह कहा कि कच्चे तेल और धातुओं जैसी कमोडिटीज की कीमतों में गिरावट दिखा रही है कि मांग में सुस्ती आ सकती है। इसका मतलब है कि यह ट्रेंड वैश्विक अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।