Trump-Xi Phone Call: 90 मिनट तक चली बातचीत, क्या अब खत्म हो जाएगी ट्रेड वॉर? अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिया यह संकेत

ट्रंप के साथ-साथ चीन के सरकारी मीडिया ने भी इस कॉल की पुष्टि की है। यह फोन कॉल इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि हाल ही में ट्रंप पर टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों को लेकर चीन को दी गई राहत के समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगा। अमेरिका ने भी चीन पर इस डील के उल्लंघन का आरोप लगाया है

अपडेटेड Jun 05, 2025 पर 11:51 PM
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ट्रंप ने कहा कि बातचीत लगभग पूरी तरह से ट्रेड पर केंद्रित थी।

अमेरिका और चीन के ​बीच ट्रेड को लेकर चल रहे तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच गुरुवार को फोन पर बातचीत हुई। यह फोन कॉल 90 मिनट तक चली और ट्रंप का कहना है कि बहुत सकारात्मक निष्कर्ष निकला। दोनों देशों की टीम जल्द ही एक मीटिंग करेगी। इतना ही नहीं चीनी राष्ट्रपति ने ट्रंप और उनकी पत्नी को अपने यहां आने का न्योता भी दिया है। बातचीत के बाद ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट के जरिए इस बारे में जानकारी दी। ट्रंप ने पोस्ट में लिखा...

'मैंने चीन के राष्ट्रपति शी के साथ फोन पर एक बहुत अच्छी बातचीत खत्म की है। हमने हाल की कुछ पेचीदगियों पर चर्चा की और ट्रेड डील के लिए सहमत हुए। फोन कॉल लगभग डेढ़ घंटे तक चली, और इसके नतीजतन दोनों देशों के लिए बहुत सकारात्मक निष्कर्ष निकला। अब पृथ्वी के दुर्लभ एलिमेंट्स की पेचीदगी को लेकर कोई सवाल नहीं होना चाहिए। हमारी संबंधित टीम्स की एक तय लोकेशन पर जल्द ही मीटिंग होगी। हमें (अमेरिका को) ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट, वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक और संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि, राजदूत जैमिसन ग्रीर रिप्रेजेंट करेंगे। बातचीत के दौरान, राष्ट्रपति शी ने विनम्रतापूर्वक अमेरिका की पहली महिला (ट्रंप की पत्नी) और मुझे चीन आने के लिए आमंत्रित किया, और मैंने भी ऐसा ही किया। दो महान देशों के राष्ट्रपतियों के रूप में यह कुछ ऐसा है, जिसे हम दोनों करने के लिए तत्पर हैं। बातचीत लगभग पूरी तरह से ट्रेड पर केंद्रित थी। रूस/यूक्रेन, या ईरान से संबंधित कुछ भी चर्चा नहीं की गई। हम मीडिया को शेड्यूलिंग और जल्द होने वाली मीटिंग की लोकेशन के बारे में सूचित करेंगे।'

रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद बढ़ा तनाव 


ट्रंप के साथ-साथ चीन के सरकारी मीडिया ने भी इस कॉल की पुष्टि की है। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड को लेकर टेंशन बरकरार है। यह तनाव अप्रैल में अमेरिका की ओर से चीन पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद बढ़ा। हालांकि 12 मई को स्विट्जरलैंड के जेनेवा में हुए समझौते के तहत अमेरिका ने चीन के सामानों के लिए 2 अप्रैल को घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ के मामले में 90 दिनों के लिए दर को 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत करने की सहमति जताई थी। बदले में चीन ने भी 90 दिनों के लिए अमेरिकी सामान पर टैरिफ को घटाकर 10 प्रतिशत करने की रजामंदी दी थी।

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समझौते के उल्लंघन के आरोप

यह फोन कॉल इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि हाल ही में ट्रंप पर टैरिफ और व्यापार प्रतिबंधों को लेकर चीन को दी गई राहत के समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगा। चीन ने एडवांस्ड टेक्नोलॉजी तक चीन की पहुंच को सीमित करने के प्रयासों पर आगे बढ़ने के लिए अमेरिका की आलोचना भी की। वहीं ट्रंप ने यह भी घोषणा की कि वह चीनी छात्रों के लिए वीजा रद्द करना शुरू करेंगे। अमेरिका ने भी चीन पर इस डील के उल्लंघन का आरोप लगाया है। वाशिंगटन की उम्मीदों के विपरीत, चीन ने पृथ्वी के दुर्लभ एलिमेंट्स के निर्यात पर प्रतिबंधों में कोई खास ढील नहीं दी है।

अप्रैल में चीन ने रोक दिया था रेयर अर्थ्स का निर्यात

चीन ने इस साल अप्रैल में पृथ्वी के दुर्लभ खनिजों और उनसे जुड़े मैग्नेट्स के निर्यात को सस्पेंड कर दिया। इससे ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स, एयरोस्पेस सेक्टर के मैन्युफैक्चरर्स, सेमीकंडक्टर कंपनियों और सैन्य ठेकेदारों की सप्लाई चेन बाधित हो गईं। यूरोप में ऑटो पार्ट्स बनाने वाले कुछ कारखानों ने प्रोडक्शन रोक दिया है। चीन की ओर से यह घोषणा अप्रैल में उस वक्त की गई थी, जब अमेरिका की ओर से चीन पर नए अतिरिक्त रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए गए थे। इससे पहले दिन में खबर आई कि चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि रेयर अर्थ्स के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध की पॉलिसी इंटरनेशनल प्रैक्टिस के अनुरूप है।

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रेयर अर्थ्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर्स, गाड़ियों के इंजन, बैटरियों और कई डिफेंस सिस्टम्स में होता है।इनके बिना ईवी और हाई-टेक ऑटोमोबाइल्स बनाना मुश्किल है। पृथ्वी के दुर्लभ खनिजों के पूरी दुनिया में उत्पादन का लगभग 90% चीन में होता है।

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