Harvard University: ट्रंप ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी स्टूडेंट्स के पढ़ने पर रोक लगाई, अब 788 भारतीय स्टूडेंट्स के भविष्य का क्या होगा?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से हार्वर्ड में पढ़ने वाले भारत सहित दूसरे देशों के स्टूडेंट्स के भविष्य के लिए खतरा पैदा हो गया है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) में सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (एसईवीपी) पर रोक लगाने का ऐलान किया

अपडेटेड May 23, 2025 पर 4:52 PM
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हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के मुताबिक, हर साल इंडिया के करीब 500-800 स्टूडेंट्स और स्कॉलर्स इस यूनिवर्सिटी में एडिमिशन लेते हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है। एक हैरान करने वाले फैसले में ट्रंप सरकार ने विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के यूनिवर्सिटी के अधिकार पर रोक लगा दी है। इससे हार्वर्ड में पढ़ने वाले भारत सहित दूसरे देशों के स्टूडेंट्स के भविष्य के लिए खतरा पैदा हो गया है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) में सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड के स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (एसईवीपी) पर रोक लगाने का ऐलान किया।

अमेरिकी सरकार ने फैसले में क्या कहा?

नोएम ने कहा कि विदेशी स्टूडेंट्स को एडमिशन देना यूनिवर्सिटीज को दी गई एक सुविधा है न कि यह उनका अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी को स्टूडेंट्स से मिलने वाली ट्यूशन फीस से फायदा होता है। इससे वे अरबों डॉलर खर्च कर पाती हैं। ट्रंप सरकार के इस फैसले से बड़ी बहस छिड़ गई है। खासर इससे Harvard हजारों विदेशी स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में लटक गया है। इसमें इंडियन स्टूडेंट्स भी शामिल हैं।


यूएस में रहने का विदेशी स्टूडेंट्स का अधिकार खत्म होगा?

Harvard में पढ़ने वाले विदेशी स्टूडेंट्स और उनके मातापिता को एक सवाल सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है। वह यह है कि क्या इससे अमेरिका में रहने का उनका कानूनी अधिकार खत्म हो जाएगा? अगर ऐसा हुआ तो भारतीय स्टूडेंट्स और उनके मातापिता को बड़ी समस्या हो जाएगी। भारत में स्टूडेंट्स के मातापिता को अमेरिका में अपने बच्चों को पढ़ाने पर काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। कई लोग इसके लिए लोन देते हैं तो कुछ अपनी प्रॉपर्टी तक बेच देते हैं।

हर साल कितने विदेशी स्टूडेंट्स हार्वर्ड आते हैं?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के मुताबिक, हर साल इंडिया के करीब 500-800 स्टूडेंट्स और स्कॉलर्स इस यूनिवर्सिटी में एडिमिशन लेते हैं। अभी 788 इंडियन स्टूडेंट्स हार्वर्ड में पढ़ रहे हैं। हार्वर्ड में कुल मिलाकर करीब 6,800 विदेशी स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। इनमें 140 देशों के स्टूडेंट्स शामिल हैं। इनमें ज्यादातर ग्रेजुएट प्रोग्राम के स्टूडेंट्स हैं। अमेरिकी सरकार ने इन स्टूडेंट्स से कहा है कि उन्हें दूसरे कॉलेज में अपना ट्रांसफर करना होगा। ऐसा नहीं करने वे अमेरिका में रहने का अपना कानूनी अधिकार खो देंगे।

क्या इस सेमेस्टर पढ़ाई पूरी करने वाले स्टूडेंट्स को डिग्री लेने की  इजाजत होगी?

इस सेमेस्टर पढ़ाई पूरी करने वाले ग्रेजुएशन को स्टूडेंट्स को अपनी डिग्री पूरी करने की इजाजत होगी। उनका सेमेस्टर 26 मई को पूरा हो रहा है। नोएम ने इस बारे में जो लेटर इश्यू किया है, उसमें लिखा है कि सरकार के इस फैसले का असर 2025-26 के बाद के एकैडमिक ईयर में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स पर पड़ेगा। अगर सरकार विदेशी स्टूडेंट्स को दूसरे कॉलेज में अपना ट्रांसफर कराने की इजाजत देती है तो भी रहने और खाने की व्यवस्था करने में उन्हें काफी मुश्किल आएगी।

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क्या हार्वर्ड ने शर्तें मान ली तो सरकार फैसला वापस ले सकती है?

नोएम ने कहा है कि अगर हार्वर्ड 72 घंटों के अंदर शर्तें मानने को तैयार हो जाती है तो उसे विदेशी स्टूडेंट्स को पढ़ाने का अधिकार फिर से मिल जाएगा। इसके बिना यह यूनिवर्सिटी विदेशी स्टूडेंट्स को दाखिला नहीं दे सकेगी। ऐसा तभी होगा जब सरकार अपने फैसले को वापस ले लेती है या कोर्ट सरकार के फैसले पर रोक लगा देता है। अमेरिका सरकार की कोशिश विदेशी लोगों की देश में एंट्री नियंत्रित करने की है।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: May 23, 2025 4:36 PM

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