US Retaliates Against ISIS In Syria: अमेरिका ने अपने दो सैनिकों की मौत का बदला लेने के लिए सीरिया में 'ऑपरेशन हॉकआई' (Operation Hawkeye) शुरू कर दिया है। शुक्रवार को अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने सीरिया में सक्रिय आतंकी संगठन ISIS के दर्जनों ठिकानों पर कहर बरपाया। यह कार्रवाई 13 दिसंबर को हुए उस हमले के जवाब में की गई है, जिसमें दो अमेरिकी सैनिक और एक ट्रांसलेटर की जान चली गई थी।
अमेरिकी सेना ने सीरिया के खिलाफ इस जवाबी हमले को 'ऑपरेशन हॉकआई' नाम दिया है। यह नाम उन दो शहीद सैनिकों के गृह राज्य आयोवा के सम्मान में रखा गया है, जिसे 'हॉकआई स्टेट' कहा जाता है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, हमलों में ISIS से जुड़े बुनियादी ढांचे, हथियारों के भंडारण केंद्रों और गुप्त ठिकानों को निशाना बनाया गया। हाल ही में चलाए गए 10 अलग-अलग अभियानों के दौरान जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर इन ठिकानों की पहचान की गई थी।
इस ऑपरेशन में अमेरिका के साथ जॉर्डन जैसे देशों ने भी हिस्सा लिया। 13 दिसंबर के हमले के बाद से अब तक अमेरिका और उसके सहयोगी बलों ने सीरिया में कुल 10 बड़े ऑपरेशन किए हैं। इन ऑपरेशनों में लगभग 23 आतंकी या तो मारे गए हैं या उन्हें हिरासत में लिया गया है। इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य सीरिया में बचे-खुचे ISIS तत्वों को पूरी तरह खत्म करना है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'यह किसी युद्ध की शुरुआत नहीं है बल्कि यह बदले की घोषणा है। राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका अपने लोगों की रक्षा के लिए कभी नहीं हिचकिचाएगा और न ही कभी पीछे हटेगा।' उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका अपने सैनिकों पर होने वाले किसी भी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा और उसका अंजाम ऐसा ही भीषण होगा।
किसने किया था अमेरिकी सैनिकों पर हमला?
हैरानी की बात यह है कि अमेरिकी सैनिकों पर हुए हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने नहीं ली है। सीरियाई आंतरिक मामलों के मंत्रालय का कहना है कि जिस हमलावर ने अमेरिकी सैनिकों पर गोली चलाई थी, वह सीरिया की आंतरिक सुरक्षा सेवा का हिस्सा था। वहीं अमेरिकी अधिकारी भी मान रहे हैं कि हमलावर के ISIS से संबंध पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन अमेरिका ने अपनी सुरक्षा और जवाबी कार्रवाई के लिए ISIS के नेटवर्क को ही निशाना बनाया है।